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हरियाणा के 88 वर्षीय पहलवान को मिला ध्यान चंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड - राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने 88 वर्षीय पहलवान सज्जन सिंह (Wrestler Sajjan Singh) को कुश्ती को बढ़ावा देने में उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए ध्यान चंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा है. उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में भाग लिया था. वहीं 1962 के एशियाई खेलों में दो रजत पदक और 1966 के एशियाई खेलों में एक कांस्य पदक जीता था.

Dhyan Chand Lifetime Achievement Award
Wrestler Sajjan Singh

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Published : Nov 15, 2021, 3:40 PM IST

चरखी दादरी:राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी में करीब एक दशक तक लोहा मनवा चुके और देश को कई मेडल दिलाने वाले चरखी दादरी के 88 वर्षीय पहलवान सज्जन सिंह (Wrestler Sajjan Singh) को ध्यान चंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (Dhyan Chand Lifetime Achievement Award) से नवाजा गया है. देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बीती 13 नवंबर को पहलवान सज्जन सिंह को ध्यान चंद लाइफ अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया. राष्ट्रपति से अवार्ड लेने के बाद सोमवार को अपने पैतृक गांव समसपुर लौटने पर पहलवान को ग्रामीणों द्वारा सम्मानित किया गया.

पहलवान सज्जन सिंह वर्ष 1960 में रोम ओलंपिक सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर कई पदक जीत चुके हैं. पहलवान व सेवानिवृत कोच सज्जन सिंह को राष्ट्रपति द्वारा ध्यान चंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिए जाने पर उनके परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है. पहलवान सज्जन सिंह को सरकार द्वारा पहली बार सम्मानित किया गया है. उनकी इस उपलब्धि पर ग्रामीणों द्वारा खुली जीप में बुजुर्ग पहलवान को समारोह स्थल तक लाया गया और आयोजित कार्यक्रम मेें उन्हें सम्मानित किया गया.

पहलवान सज्जन सिंह को ग्रामीणों ने भी किया सम्मानित

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सम्मान समारोह में आसपास के गांवों से भी ग्रामीण पहुंचे थे. परिजनों के अनुसार पहलवान सज्जन सिंह ने भारतीय सेना में रहते हुए वर्ष 1960 में रोम ओलंपिक में भाग लिया था. इसके साथ ही वे करीब एक दशक तक एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भी भाग ले चुके हैं. इन प्रतियोगिताओं में उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कई पदक जीते थे.

कोच सज्जन सिंह के बेटे कृष्ण कुमार ने बताया कि सज्जन सिंह वर्ष 1951 में भारतीय सेना में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. रेसलिंग में उनके प्रदर्शन को देखते हुए उनका चयन वर्ष 1960 में रोम ओलंपिक के लिए हुआ. सेना में रहते हुए ही एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स व वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लिया. वर्ष 1979 में वे भारतीय सेना से मानद कैप्टन के पद से सेवानिवृत हुए. वर्ष 1980 से 1993 तक उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण के तहत बतौर कुश्ती कोच सेवाएं दी. कई उपलब्धियों के बावजूद अभी तक केंद्र या प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया गया था. उम्र के आखिरी पड़ाव में सरकार ने उनकी सुध लेते हुए उन्हें ये अवार्ड दिया है. ये सम्मान मिलना पूरे क्षेत्र के लिए गौरव की बात है.

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