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World No Tobacco Day 2023: शरीर में 50 सिगरेट के बराबर धुंआ भेजता है हुक्का, जानें क्या होती है सेकंड हैंड स्मोकिंग

हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि हर साल दुनिया भर में लगभग 8 मिलियन लोग तंबाकू के कारण अपनी जान गवां बैठते हैं, इनमें से लगभग 7 मिलियन वो लोग हैं जो तंबाकू का सेवन करते हैं. लगभग 1.2 मिलियन लोग वो हैं जो किसी दूसरे माध्यम से तंबाकू के धुएं के प्रभाव में आते हैं.

world no tobacco day 2023
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Published : May 31, 2023, 3:57 PM IST

शरीर में 50 सिगरेट के बराबर धुंआ भेजता है हुक्का, जानें क्या होती है सेकंड हैंड स्मोकिंग

चंडीगढ़: हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. धूम्रपान और तंबाकू के दुष्परिणामों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने इसके लिए एक प्रस्ताव रखा, जिसके बाद हर साल लोगों को इसके गंभीर नतीजों के बारे में जागरूक करने के लिए तंबाकू निषेध दिवस मनाने का फैसला किया गया. दरअसल हुक्का और सिगरेट आधुनिक समय में फैशन बन चुका है. आपको सार्वजनिक जगहों पर लोग सिगरेट के कश लगते नजर आ जाएंगे.

शहरों में हुक्के का प्रचलन बढ़ रहा है. फ्लेवर हुक्के युवाओं की पहली पसंद बनता जा रहा है. वहीं फैमिली फंक्शन में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है. कुछ लोगों को मानना है कि हुक्का सेहत के लिए हानिकारक नहीं होता. वहीं डॉक्टरों की माने तो ये एक अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं है. तंबाकू की खेती करने वाले को भी ग्रीन कैंसर हो जाता. शोधकर्ताओं तक का कहा है कि हुक्का पीने से शरीर में निकोटिन पहुंचता है, जो तंबाकू की लत का कारण बन सकता है.

इसमें बेंजीन भी पैदा होती है, जो कैंसर का कारण बन सकती है. हुक्का सिगरेट की तरह ही फेफड़े और ब्लड कैंसर का वाहक है. इस बारे में चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ऑफ कमेंट्री मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर सोनू गोयल ने कहा कि वो 15 सालों से तंबाकू के संबंध में हो रही शोध के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. हुक्का एक खतरनाक वस्तु है जिसका परिणाम भी खतरनाक है. कुछ सर्वे के मुताबिक देखने में आया है कि एक हुक्का पीने वाला दिन में 50 सिगरेट के हिसाब से धुआं अपने शरीर में भेजता है.

अगर शहरों की बात करें तो कहा जाता है कि कुछ हुक्का बार फ्लेवर हुक्का लोगों को पिलाते हैं, लेकिन वो भी 45 मिनट के एक सेशन में 50 सिगरेट का धुआं शरीर के अंदर भेजता है. हुक्के के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड टार और कैंसर जैसे कई तत्व पाए जाते हैं. इसके साथ ही एक अहम बात ये भी है कि हुक्का या सिगरेट पीने वाले लोग अपने आसपास के लोगों को भी प्रभावित करते हैं. ये धुआं वयस्कों के साथ-साथ बच्चों को भी प्रभावित करता है.

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इसे सेकेंड हैंड स्मोक भी कहा जाता है. डॉक्टर सोनू ने बताया कि हरियाणा के कल्चर में हुक्का पीना आम बात है. कई बार देखा गया है कि अगर हुक्का पीने वाले शख्स को शारीरिक इंफेक्शन है. तो दूसरा शख्स भी उसी हुक्के को पीने से संक्रमित हो सकता है. कोरोना काल में देखा गया कि हुक्का पीने वाले शख्स आम लोगों के मुकाबले ज्यादा संक्रमित हुए थे. हुक्का पीने से लंग कैंसर और ब्लड कैंसर तक हो सकता है.

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