चंडीगढ़:हर साल अप्रैल महीने की 25 तारीख को वर्ल्ड मलेरिया दिवस मनाया जाता है.स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2018 तक चंडीगढ़ को मलेरिया मुक्त बनाने का प्रण लिया गया था. लेकिन, आज तक चंडीगढ़ से मलेरिया खत्म नहीं हुआ है. वहीं, गर्मियों का सीजन शुरू होते ही मच्छर से जुड़ी बीमारियों में इजाफा होना शुरू होता है. वहीं, शहर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया को कंट्रोल करने के लिए डीडीटी मिश्रण छिड़का जाता था. लेकिन, अब डीडीटी के असर को कम देखते उसे चंडीगढ़ में बैन कर दिया है. बता दें कि मई महीने से ही अस्पताल के अंदर मलेरिया से पीड़ित मरीजों की लाइन लगनी शुरू हो जाती है. नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के प्रभावित इलाकों में टीमों को भेज कर स्प्रे और अन्य मलेरिया से संबंधित जागरूकता अभियान चलाया जाता है.
मलेरिया प्रभावी इलाकों में शामिल: वहीं, चंडीगढ़ के कुछ प्रभावी इलाके हैं, जहां अक्सर मलेरिया पाया जाता है. जिसमें सेक्टर-35 ए फ्लावर मार्केट, सेक्टर-10 के लेजर वैली, सेक्टर-16 रोज गार्डन के गेट के सामने, सेक्टर-35 डी, सेक्टर-36 ए, सेक्टर-42 स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स मौलीजागरां, मनीमाजरा, दड़वा, हल्लोमाजरा, बहलाना, खुड्डा लाहौरा, खुड्डा अलीशेर, मलोया, कॉलोनी नंबर-4, सेक्टर-25, सेक्टर-27, सेक्टर-22, धनास, सेक्टर-20, सेक्टर-19 और सारंगपुर शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार हर साल इन क्षेत्रों से डेंगू के सबसे ज्यादा मामले आते हैं.
मलेरिया के आंकड़े:साल 2018 में 44 मामले सामने आए, साल 2019 में 22 मामले सामने आए थे. वहीं, साल 2020 और 21 में 7 और 6 मामले सामने दर्ज किए गए थे. साल 22 में आंकड़ा घटकर पहुंचे 2 पर और साल 2023 में ये आंकड़ा जीरो हो चुका है. वहीं, अगर डेंगू के मरीजों की बात करें तो एक भी मरीज की मौत डेंगू से नहीं हुई है.
मलेरिया फैलने के कारण: चंडीगढ़ में वेक्टर जनित रोगों के मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया के लिए लार्वा और वेक्टर यानी एडीज बहुतायत में पाए जाते हैं. यह पूरे शहर में खुले ओवरहेड टैंक, पक्षियों के पानी वाले बर्तन, टूटे टायर और खुले में पड़ा कबाड़, पानी के खुले ड्रम, हौदी, स्थिर पानी के साथ कूलर, रेफ्रिजरेटर के खड़े पानी में पनप रहा मच्छर जनित स्रोतों के माध्यम से फैलता है.