चंडीगढ़: 14 जून को दुनिया भर में रक्तदान के लिए जागरूक करने के तौर पर मनाया जाता है. 2005 में डब्ल्यूएचओ द्वारा एक रेजोल्यूशन पास किया गया था जिसमें उन देशों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया गया था जिन देशों में लोगों को रक्तदान करने को लेकर समस्या देखी गई थी. वहीं, अगर भारत की बात की जाए तो आज के समय में भारत की स्थिति और देशों के मुकाबले बहुत अच्छी है. भारत में 70 फीसदी के आसपास लोग वॉलिंटियर करते हुए ब्लड डोनेट करते हैं. अफ्रीका जैसे देशों की बात की जाए तो वहां पर आज भी रक्तदान को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है.
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रक्तदान करने में पीछे: वहीं, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में रक्तदान को लेकर अधिक शंकाएं रहती हैं. उन्हें लगता है कि रक्तदान करते वक्त लगने वाली सुई से वे बीमार हो जाएंगी या उन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी हो सकती है. शायद यही वजह है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं रक्तदान करने में पीछे हैं. वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से साबित हो चुका है खून दान करने से किसी भी तरह की बीमारी और शारीरिक समस्या नहीं आती है.
चंडीगढ़ में 24 घंटे ब्लड बैंक सेवा: चंडीगढ़ में ब्लड बैंक सेवा 24 घंटे उपलब्ध है. पीजीआई ट्रॉमा सेंटर और प्रेग्नेंट महिलाओं को ब्लड की तुरंत आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में साल के 365 दिन ब्लड बैंक ओपन रहता है. ब्लड के अलावा कॉम्पोनेंट्स भी की सुविधा भी 24 घंटे उपलब्ध करवाई जाती है. रोजाना ब्लड कंपोनेंट में 300 से 400 यूनिट ब्लड मरीजों को लगाया जाता है. वहीं, खून की जरूरत पीजीआई में रोजाना रहती है. इसके लिए रोजाना ब्लड कलेक्शन बहुत जरूरी रहता है. पीजीआई में मिनिमम स्टाफ को मेंटेन रखने के लिए रोजाना 200 से 300 यूनिट ब्लड बैंक में पहुंचाया जाता है.
ब्लड को 30 से 45 दिनों तक किया जा सकता है स्टोर: वहीं, एक ब्लड ग्रुप को 30 से 45 दिनों के बीच स्टोर किया जा सकता है. उसके बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. वहीं, पीजीआई में प्रोफेसर एंड हेड डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन ब्लड डॉ. रत्ती राम शर्मा ने बताया क्योंकि पीजीआई एक रेफरल सेंटर है. जहां, रोजाना इमरजेंसी में और ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीज पहुंचते हैं. ऐसे में जिस किसी मरीज को खून की तुरंत जरूरत होती है, हम उसे डॉक्टर की सहमति के साथ मुफ्त ब्लड मुहैया करवाते हैं. लेकिन, जिन मरीजों के ऑपरेशन में 3 से 4 दिनों के बाद का समय है उन मरीजों के परिजनों को जागरूकता के तौर पर ब्लड डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. जिसके तहत जितना ब्लड वे ब्लड बैंक से ले रहे हैं उन्हें उतना ही ब्लड डोनेट करना भी होता है. हम ब्लड लेने वाले लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि अगर वे अपने मरीज के लिए ब्लड नहीं दे सकते तो वे अपने मरीज की कैसे मदद कर पाएंगे.
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