चंडीगढ़: हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. इस साल मंगलवार, 2 मई को विश्व अस्थमा दिवस है. विश्व अस्थमा दिवस मनाने की शुरुआथ 1993 में हुई थी. हर साल अस्थमा दिवस पर थीम तय की जाती है. अस्थमा दिवस 2023 पर एक खास थीम तय की गयी है 'अस्थमा केयर फॉर ऑल'. फेफड़े हमारे जीवन के लिए आवश्यक अंग हैं, लेकिन जब हमारे फेफड़ों का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है तब हमें पता चलता है कि सांस लेने के अलावा कुछ भी मायने नहीं है. फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों को होने वाली समस्याओं में अस्थमा में भी एक गंभीर बीमारी है. वहीं, बीते दिन दिग्गज नेता पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की मौत का कारण भी कहीं न कहीं अस्थमा भी था.
फेफड़ों के रोग से सलाना लाखों लोग मरते हैं और लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं. फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए खतरा हर जगह है और वे कम उम्र में शुरू होते हैं जब हम सबसे ज्यादा चपेट में आने वाले होते हैं. हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. वहीं, देखा भी गया है कि फेफड़ों की इस बीमारी को लगातार उपचार नियंत्रण में भी लाया जा सकता है.
दुनिया में 23 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित:बता दें कि दुनिया भर में 23 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, 20 करोड़ से अधिक लोगों को पुराने बाधाकारी फेफड़ा-संबंधी रोग (सीओपीडी) है, 65 लाख मध्यम-से-गंभीर सीओपीडी से पीड़ित होते हैं. ऐसे में पीजीआई जैसे संस्थान में रोजाना आने वाली मरीजों में श्वास से संबधि त मरीजों की तांता लगा रहता है. ऐसे में जहां वयस्कों के लिए अलग वार्ड में लोग भर्ती होते है वहीं बच्चों का वार्ड अलग से बना हुआ.
वहीं, बीते दिनों में पंजाब के दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल की मौत का कारण भी कहीं न कहीं अस्थमा भी था. क्योंकि जिन इलाकों में वे रहते थे वहां गेहूं की कटाई चल रही थी जिसके उड़ने वाली धूल उनके अस्थमा को प्रभावित कर गई और उन्हें मोहाली प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया. लेकिन, कुछ दो दिनों बाद ही उनकी मौत हो गई.
ऐसे में पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी के हेड एंड पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी डिवीजन पीजीआई के प्रोफेसर डॉ. जोसेफ मैथ्यू जोकि अस्थमा होने वाली रिसर्च का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि पीजीआई में किसी भी रीजन के मरीज आते हैं और अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो कभी भी कहीं भी हो सकती है.
अस्थमा क्या है?: अस्थमा एक इन्फ्लेमेशन होती है जिससे श्वास नली की पाइप सूज जाती है. वहीं, बलगम जमा होने के कारण सांस लेने में दिक्कत आ सकती है. इसके अलावा सांस की पाइप के आसपास एक जकड़न हो जाती है, जिससे सांस की पाइप का डायमीटर कम हो जाता है. आम शब्दों में कहे तो सांस लेते समय हवा अंदर की तरफ जाती है लेकिन सूजन होने के कारण या श्वास नली में बलगम होने के कारण हवा वापस बाहर नहीं आ पाती जिसके कारण अस्थमा जैसी समस्या महसूस होती है.
अस्थमा के लक्षण: खांसी, सांस छोड़ने के साथ घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न महसूस होना और हीमोपटाइसिस (बलगम में खून आना) प्रमुख लक्षण हैं. खांसी लंबे समय तक बलगम हो सकती है. अस्थमा के रोगी में आमतौर पर कफ के साथ बलगम मौजूद होता है और साथ ही मौसम में बदलाव के साथ यह बदलता रहता है. सीओपीडी के रोगी में कफ के साथ बलगम मौजूद होता है जिससे जल्दी थकावट हो जाती है, जो धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं यदि इसका ठीक से इलाज न किया जाए.
प्रोफेसर डॉ. जोसेफ मैथ्यू ने बताया कि समय के साथ अस्थमा की बीमारी में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. आज भी अस्थमा के मरीज के लिए इनहेलर और टेबलेट ही इस्तेमाल की जाती है या इसी में कोई नया कॉन्बिनेशन आ जाता है. मौजूदा समय की बात करें तो अस्थमा की बीमारी में बढ़ावा हुआ है इसका मुख्य कारण बढ़ता हुआ पॉल्यूशन है. कुछ लोगों को कुछ गैसों से और धूल, मिट्टी, करकट जैसी जगहों से समस्या आ सकती है. वहीं, वयस्कों के मुकाबले बच्चों में इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण उन्हें सांस से संबंधित समस्याएं देखी जा सकती है.
हमेशा इनहेलर अपने साथ रखें अस्थमा के मरीज: डॉ. जोसेफ मैथ्यू ने बताया कि अस्थमा के मरीज को डॉक्टर के द्वारा एक प्लान किया जाता है. जिसके अनुसार वे अपनी सांस को कंट्रोल कर सकते हैं. लेकिन, कुछ ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें इस बीमारी का पता नहीं होता. वहीं, अगर कोई अस्थमा का मरीज है तो वह अपना इनहेलर हमेशा अपने साथ रखें अगर वह ऐसी अवस्था में जहां इनहेलर का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. कोई भी व्यक्ति उसे इनहेलर से मदद कर सकता है. वहीं, अस्थमा जैसी बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है जिन्हें कुछ खास चीजों के खाने से या उनके आसपास रहने से होती है. जैसे कुछ लोगो को पीनट बटर और कुछ इतर जिसकी खुशबू से समस्या होती है.
डॉ. जोसेफ मैथ्यू ने बताया कि कुछ मरीजों में देखा गया है कि लोगों को जानवरों से भी अस्थमा हुआ है. जानवरों के बाल और सुगंध कुछ लोगों के लिए सांस लेने में दिक्कत कर सकती है. ऐसे में इस तरह के लोगों को अपने जीवन शैली का विशेष तौर पर ध्यान रखना होता है. ऐसे में अगर अस्थमा के मरीजों को मदद करना चाहता है तो इस तरह के मरीज को धूल और प्रदूषण से भरी जगह से दूर ले जाना चाहिए. वहीं, उसे लिटाने की जगह बिठाकर उसके पहने हुए कपड़ों को ढीला करना चाहिए. बंद कमरे की जगह उसे एक खुली जगह पर ले जाकर बिठाएं.
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