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हरियाणा में 62 फीसदी महिलाएं एनीमिया की शिकार, शादी की उम्र बढ़ने से क्या बदलेगी जिंदगी? - महिला शादी उम्र बदलाव फायदे

क्या शादी की उम्र 21 साल कर देने से लड़कियों की जिंदगी बदल जाएगी, क्या मातृ मृत्यु और शिशु दर में गिरावट आ जाएगी. क्या शादी की उम्र बढ़ जाने से महिलाओं को समाज में वो सम्मान मिलेगा, जिसकी वो हकदार हैं? इसे समझने के लिए ईटीवी भारत ने हरियाणा में महिलाओं की सूरत-ए-हाल की पड़ताल की.

Will the change in marriageable age change the lifes of women in India
शादी की उम्र बढ़ने से क्या बदलेगी लड़कियों की जिंदगी?

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Published : Sep 17, 2020, 2:26 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 2:40 PM IST

चंडीगढ़:'लोकतंत्र के कल्पतरू में और अभी इठलाने दो, लाडो की ये उम्र ही क्या है, थोड़ा पढ़ लिख जाने दो'. इन पंक्तियों की गहराई को समझें तो आपके जहन में खुद ब खुद आसपास के क्षेत्रों में होने वाले बाल विवाह की यादें ताजा हो जाएंगी, लेकिन अब बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के बाद सरकार एक नए कानून लाने की तैयारी में है. जिसमें लड़कियों की शादी की उम्र 18 की बजाय 21 साल करने की बात की जा रही है.

इस पर अलग-अलग परिवेश के लोगों के अपने-अपने विचार हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या शादी की उम्र 21 साल कर देने से सारी समस्या खत्म हो जायेगी.इसे समझने के लिए हमने हरियाणा में महिलाओं की सूरत-ए-हाल की पड़ताल की.

भारत में शादी की उम्र बढ़ने से क्या बदलेगी लड़कियों की जिंदगी?

इसके लिए सबसे पहले हरियाणा के कुछ आंकड़ों पर नजर डालनी पड़ेगी, जिसमें मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, कुपोषण, प्रजनन दर और लिंगानुपात को समझना होगा. सबसे पहला सवाल यही है कि क्या कम उम्र में शादी होने से ये समस्याएं ज्यादा होती हैं.

गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सोनिका चुघ से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कम उम्र में शादी हो जाने से लड़कियां कम उम्र में मां बन जाती हैं, जिससे लड़कियों और उनके बच्चों की मृत्यु दर काफी ज्यादा बढ़ जाती है. अगर लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ जाएगी तो वो शारीरिक तौर पर परिपक्व होंगी, जिससे गर्भधारण और प्रसव के वक्त मृत्यु दर में कमी आएगी. डॉक्टर सोनिका चुघ जो कह रही हैं. हरियाणा के कुछ आंकड़े उसकी तस्दीक भी करते हैं.

स्वास्थ्य स्टेट्स प्रोग्रेसिव इंडिया 2017-18 की रिपोर्ट

  1. 15-49 साल के महिलाओं में एनीमिया बीमारी में 6.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई
  2. 15-49 साल के महिलाओं में एनीमिया 56.1 से 62.7 प्रतिशत जा पहुंचा
  3. 2015-16 में हरियाणा में कुपोषण दर 34 प्रतिशत दर्ज की गई

हलांकि ये आंकड़े कम उम्र में शादी होने के चलते हैं.ये सीधे तौर पर नहीं कह सकते, क्योंकि अगर स्वास्थ्य सूचकांक यानि हेल्थ इंडेक्स की बात करें तो...तो हरियाणा की स्थिति काफी बेहतर है.

स्वास्थ्य स्टेट्स प्रोग्रेसिव इंडिया 2017-18 की रिपोर्ट

  1. बेहतर स्वास्थ्य रैंकिंग के टॉप-3 राज्यों में हरियाणा का नाम शामिल
  2. हरियाणा का इंडेक्स स्कोर 46.97 से बढ़कर 53.51 पहुंच गया
  3. 2015-16 में हरियाणा में कुपोषण दर में 11.7 फीसदी की गिरावट आई

इन आंकड़ों को देखकर आप समझ गए होंगे कि हरियाणा में एक तरफ जहां कुपोषण दर में गिरावट दर्ज की गई तो वहीं एनिमया में बढ़ोत्तरी हुई है. यानि कम उम्र में शादी की वजह से हरियाणा में 62.7 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया से पीड़ित मिलीं. अब दूसरा पहलू ये है कि क्या शादी की उम्र बढ़ा देने से. ये हालात बदल जाएंगे. कम उम्र में शादी की वजह से होने वाली समस्याओं और ज्यादा उम्र में की गई शादी से होने वाले फायदे, दोनों को जानने के बाद अब उन आंकड़ों पर भी गौर करने की जरुरत है जो सरकार की ओर से समय-समय पर जारी किए जाते हैं.

मातृ मृत्यु दर: कम उम्र में शादी की वजह से प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत को मातृ मृत्यु दर कहते हैं. भारत में इसकी दर प्रति 1 लाख पर 130 है, जबकि हरियाणा में ये आंकड़ा 101 है. (2014-2016)

शिशु मृत्यु दर: कम उम्र में शादी की वजह से प्रसव के दौरान स्वस्थ न होने की वजह से बच्चे दम तोड़ देते हैं, इसे शिशु मृत्यु दर कहते हैं. हरियाणा में ये दर 2015 में 36 था जबकि 2016 में 33 पहुंच गया. मतलब इसमें सुधार हो रहा है.

प्रजनन दर: कुल प्रजनन दर का मतलब 15-49 साल के महिलाओं के बच्चा पैदा करने के औसत दर से है. फिलहाल हरियाणा मे ये दर 2.3 है.

लिंगानुपात: 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या लिंगानुपात कहलाती है. फिलहाल हरियाणा में लिंगानुपात 831 है (2013-15) जो बीते 15 सालों में सबसे कम है.

बालक-बालिका लिंगानुपात:प्रति एक हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या बालक-बालिका लिंगानुपात कहलाती है. 2011 के जनगणना के हिसाब से हरियाणा में ये संख्या 834 है.

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शादी की उम्र 18 से 21 करने पर क्या ये स्थिति बदलेगी. ये बड़ा सवाल है क्योंकि हिंदुस्तान में शादी केवल कानूनी मसला नहीं है. ये समाज, रीति-रिवाज और लोकलाज से चलती है. महिलाओं का खान-पान, उनके प्रति समाज का नजरिया बदलने की जरुरत भी है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 2:40 PM IST

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