चंडीगढ़:सिंघु बॉर्डर पर करीब एक साल से किसान नए कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन शुक्रवार सुबह जो तस्वीर सामने आई, उसने हर शख्स को झकझौर कर रख दिया. तरतारन के रहने वाले लखबीर सिंह की खून से सनी लाश पुलिस के बैरिकेट से लटकी हुई मिली. लाश का एक हाथ और पांव कटा हुआ था. इस वारदात ने तालिबानी सजा की याद दिला दी. शख्स की इस तरह से की गई नृशंस हत्या ने सभी को सकते में डाल दिया.
क्या है मामला?:इस हत्या की जिम्मेदारी निहंग सिखों ने ली है. इस मामले में एक आरोपी ने आत्मसमर्पण किया तो दूसरे को गिरफ्तार किया गया है. निहंग सिखों का आरोप है कि मृतक शख्स ने के धर्म ग्रन्थ के साथ बेअदबी की थी, जिसके चलते उन्होंने उसे मौत के घाट के उतार दिया. हैरत की बात यह है कि मृतक इन्हीं निहंगों का सेवादार था.
निहंग सिख भले ही लखबीर सिंह को मौत के घाट उतारने की कोई भी वजह बता रहे हों, लेकिन इस वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या धर्म की आड़ में किसी को इस तरह मौत के घाट उतारा जा सकता है ? क्या कोई भी शख्स इस तरह कानून को अपने हाथ में लेकर किसी की इस तरह नृशंस हत्या कर सकते है ? क्या यह वारदात ऐसे समाज को जन्म देने की कोशिश नहीं है जहां कानून की कोई कीमत नहीं है ? क्या धर्म के नाम पर इस तरह कोई भी किसी भी वारदात को अंजाम दे सकता है ?
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वारदात के बाद हरियाणा सरकार ने क्या किया ?: सिंघु बॉर्डर की घटना पर चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास में हाई लेवल बैठक हुई. बैठक में गृह मंत्री अनिल विज, पुलिस महानिदेशक अन्य आला अधिकारी शामिल हुए. बैठक में घटना की जानकारी लेने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई करने के लिए आदेश दिए. उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन अब सवाल यह है कि इस वारदात के बाद सिंघु बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
सभी राजनीतिक, सामाजिक संगठनों दलों ने साधी चुप्पी?: सिंघु बॉर्डर पर हुई निर्मम हत्या के बाद जो सबसे हैरान करने वाली बात हुई. वो ये कि इसके खिलाफ किसी भी राजनीतिक दल, किसी भी धार्मिक संगठन और सामाजिक संगठन ने चुप्पी साध ली. आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्यों ये मामला किसी की भी राजनीति दल को सूट नहीं हुआ? क्या इस हत्या को धर्म से जोड़कर राजनीतिक दलों ने मौन समर्थन दे दिया या फिर सभी अपना नफा नुकसान का आंकलन कर रहे हैं?
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सवाल उन सभी की मंशा पर भी उठ रहे हैं जो देश के अन्य हिस्सों में होने वाली वारदातों को लेकर सड़क जाम करते हैं, धरना प्रदर्शन करते हैं और सत्ता में बैठी सरकारों को घेरने में जुट जाते हैं? सवाल कई हैं लेकिन शायद इस मामले में कोई जवाब देना नहीं चाहता?