चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जल संरक्षण की दिशा में बढ़ते हुए आज घोषणा की है, कि धान की सीधी बिजाई के तहत क्षेत्र में 275 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसके अधीन 73,000 एकड़ क्षेत्र को बढ़ाकर लगभग 2 लाख एकड़ किया जाएगा. इससे 218 एम.सी.एम. पानी की बचत होगी. इसके लिए मशीनरी की उपलब्धता और सब्सिडी की का प्रावधान किया जाएगा. इसके अलावा, उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले दो वर्षों में 9500 से अधिक जल स्रोतों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. इनमें 5308 तालाब, 63 चैक डैम, 81 उथले ट्यूबवेल और 4000 रिचार्ज बोरवेल शामिल हैं.
जल संगोष्ठी का समापन: मुख्यमंत्री आज पंचकूला में अमृत जल क्रांति के अंतर्गत हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित 2 दिवसीय जल संगोष्ठी के समापन सत्र में बोल रहे थे. मनोहर लाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती के तहत 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करके इसके अधीन 6,000 एकड़ क्षेत्र से 25 हजार एकड़ क्षेत्र को लाया जाएगा.इस प्रयास से न केवल पानी की बचत होगी बल्कि मृदा स्वास्थ्य में भी सुधार होगा.
1 लाख एकड़ भूमि का सुधारीकरण: मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने खारे पानी वाले क्षेत्रों में 1 लाख एकड़ लवणीय भूमि के सुधार करने का लक्ष्य रखा है. इसकी प्राप्ति के लिए कार्य में तेजी लाने के लिए कृषि विभाग केन्द्रीय लवणीय मृदा सुधार संस्थान के साथ मिलकर काम करेगा और अगले तीन महीनों में अपनी कार्य योजना को अंतिम रूप देगा. इस कार्य के लिए मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी. यदि सब्सिडी का प्रावधान करना होगा तो वह भी किया जाएगा.
भूजल योजना पर बोले सीएम: मनोहर लाल ने कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि विश्व बैंक ने अटल भूजल योजना का राज्य के 14 जिलों में विस्तार करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है. पहले चरण में पंचवर्षीय योजना के तहत 700 करोड़ का बजट मिला था. दूसरे चरण में भी विश्व बैंक की ओर से लगभग 700 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध कराएगा. इससे राज्य का जल भराव का 90 प्रतिशत क्षेत्र कवर हो जाएगा.
किसानों के लिए जलापूर्ति की तैयारी: मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले दो वर्षों में कृषि क्षेत्र में पानी की 50 प्रतिशत मांग को एस.टी.पी. के ट्रेड वेस्ट वाटर द्वारा पूरा किया जाएगा. इसके अलावा, कृषि की जरूरतों के लिए 75 एस.टी.पी. के पानी का उपयोग किया जाएगा. इतना ही नहीं, अगले दो वर्षों में 31 HSIIDC सम्पदाओं में से 18 में उपचारित अपशिष्ट जल का शत-प्रतिशत पुनः उपयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा कि एसटीपी का 50 फीसदी ही पानी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसको हम 100 फीसदी तक लेकर जाएंगे.