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वीडियो असिस्टेंट थेरास्कोपिक सर्जरी से फेफड़ों के कैंसर का इलाज हुआ आसान

आमतौर पर फेफड़े के कैंसर का जो ऑपरेशन किया जाता है, उसमें शरीर के बाकी अंगों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ता है. क्योंकि इसके लिए मरीज के शरीर पर काफी लंबा चीरा लगाया जाता है. जिसमें कई मांसपेशियां हमेशा के लिए कट जाती हैं. साथ ही कई नसों को काटना पड़ता है और बाद में फेफड़ों तक पहुंचने के लिए डॉक्टर को मरीज की कई पसलियों को भी काटना पड़ता है.

Lung Cancer
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Published : Jan 9, 2020, 5:03 PM IST

चंडीगढ़ःफेफड़ों का कैंसर दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है, इस बीमारी की वजह से हर साल लाखों लोग अपनी जान गवा बैठते हैं. एक अनुमान के मुताबिक हर साल कई लाख लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं, पिछले ही साल दुनिया भर में इस बीमारी के 20 लाख से ज्यादा मरीज सामने आए थे. अगर भारत की बात की जाए तो सिर्फ भारत में ही हर रोज करीब 35 लोग इस बीमारी की वजह से अपनी जान गवां रहे हैं.

नई तकनीक से फेफड़ों के कैंसर का इलाज
लेकिन चंडीगढ़ में एक ऐसी नई तकनीक को पेश किया गया है. जिसके जरिए ना सिर्फ फेफड़ों के कैंसर का सफल इलाज किया जा सकता है. बल्कि इलाज के दौरान होने वाले शरीर के नुकसान को भी कम किया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए मरीज कुछ ही दिनों में स्वस्थ होकर अपना सामान्य जीवन जी सकता है. इस तकनीक का नाम है वीडियो असिस्टेंट थेरास्कोपिक सर्जरी. इस तकनीक के जरिए मरीज के फेफड़ों का इलाज ऑपरेशन किया जाता है, जिसमें फेफड़ों में फैले कैंसर को निकाल दिया जाता है. जिसके बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है.

वीडियो असिस्टेंट थेरास्कोपिक सर्जरी फेफड़ों के कैंसर का इलाज हुआ आसान

काफी जटिल होता है सामान्य ऑपरेशन
इसके बारे में बात करते हुए डॉ विजय जगद ने बताया की आमतौर पर फेफड़े के कैंसर का जो ऑपरेशन किया जाता है, उसमें शरीर के बाकी अंगों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ता है. क्योंकि इसके लिए मरीज के शरीर पर काफी लंबा चीरा लगाया जाता है. जिसमें कई मांसपेशियां हमेशा के लिए कट जाती हैं. साथ ही कई नसों को काटना पड़ता है और बाद में फेफड़ों तक पहुंचने के लिए डॉक्टर को मरीज की कई पसलियों को भी काटना पड़ता है. इसके बाद ही वह आगे का ऑपरेशन कर पाता है.ऐसे ऑपरेशनों में मरीज को कई अंगों का नुकसान हो जाता है. जो उम्र भर ठीक नहीं हो पाता.

वीडियो असिस्टेंट थेरास्कोपिक सर्जरी मरीजों के लिए फायदेमंद
लेकिन इस नई सर्जरी के जरिए औजारों को छोटे-छोटे छेदों के जरिए शरीर में डाला जाता है. इसके साथ एक कैमरा भी मरीज के शरीर में जाता है. यह औजार इतने छोटे होते हैं. जिससे ना तो मांसपेशियों को काटना पड़ता है और ना ही पसलियों को काटने की जरूरत पड़ती है. एक छोटे से कट के जरिए पूरा ऑपरेशन कर दिया जाता है. इस ऑपरेशन के चार-पांच दिन के बाद ही मरीज चल फिर सकता है और अपना सामान्य जीवन जी सकता है. इसके बाद मरीज को किसी तरह की मदद जरूरत भी नहीं रहती.

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सिर्फ 5 दिन में ही मरीज को अस्पातल से मिल गई छुट्टी
डॉ विजय ने पठानकोट के रहने वाले एक मरीज का ऑपरेशन इसी तकनीक के जरिए किया था. वह मरीज 5 दिन अस्पताल में रहने के बाद अब अपना सामान्य जीवन जी रहा है. जब उस मरीज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें आज महसूस ही नहीं होता कि उन्हें कैंसर जैसे गंभीर रोग हुआ था. क्योंकि अब बिल्कुल ठीक है और अस्पताल में भी सिर्फ उन्हें 5 दिन ही रहना पड़ा.

उत्तर भारत में दिल्ली के बाद सिर्फ चंडीगढ़ में तकनीक
फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. इस बीमारी की वजह से लाखों लोग हर साल जान गवां बैठते हैं. लेकिन चिकित्सा जगत में हो रही नई-नई खोजों की वजह से धीरे-धीरे डॉक्टर इस तरह की घातक बीमारियों पर विजय प्राप्त करने में सक्षम हो रहे हैं और लोगों की जान बचा पा रहे हैं. इस तकनीक को पूरे उत्तर भारत में दिल्ली के बाद सिर्फ चंडीगढ़ में ही पेश किया गया है, इस तकनीक के यहां आने से जम्मू कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा और पंजाब के मरीजों को काफी फायदा होगा.

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