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चंडीगढ़ की इस शूटर ने उधार की पिस्टल से लगाया था पहला निशाना, अब ओलंपिक में दिखाएंगी दम

भारत ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में शनिवार को पहले दिन महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Meerabai chanu) के पदक जीतने के साथ ही शानदार शुरूआत कर दी है. वहीं अब इस पदक तालिका में भारत के मेडल की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी बाकी खिलाड़ियों पर है, जिसमें चंडीगढ़ की शूटर अंजुम मोदगिल (Anjum Moudgil) भी शामिल हैं.

Indian shooter Anjum Moudgil
Indian shooter Anjum Moudgil

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Published : Jul 26, 2021, 3:58 PM IST

चंडीगढ़:देश की स्टार निशानेबाज चंडीगढ़ की रहने वाली अंजुम मोदगिल (Anjum Moudgil) टोक्यो ओलंपिक में अपने जौहर दिखाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने अभी तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जिस तरह से बेहतरीन प्रदर्शन किया है और कई पदक अपने नाम किए हैं. उसे देखकर उन्हें ओलंपिक पदक की भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है. ये अंजुम का पहला ओलंपिक है. मंगलवार 27 जुलाई को वे टोक्यो में एक्शन में रहेंगी. अंजुम का 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम क्वालीफिकेशन में सुबह 9:45 से मैच शुरू होगा. उनके साथी भारतीय पुरुष शूटर दीपक कुमार रहेंगे.

अंजुम के मैच से पहले ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ में अंजुम के माता-पिता से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अंजुम के शूटिंग करियर के बारे में बताया. अंजुम के पिता सुदर्शन मोदगिल ने बताया कि अंजू साल 2007 में सातवीं क्लास में थी. एक दिन अंजुम की मां उसे एक एनसीसी कैंप में लेकर गई. वहां उन्होंने किसी से पिस्टल लेकर एक राउंड फायर किया और यहीं से ही अंजुम निशानेबाजी से जुड़ गई.

अंजुम की मां शुभ मोदगिल ने बताया कि कॉलेज टाइम में भी वह निशानेबाजी करती थी, लेकिन बाद में वह इस खेल से दूर हो गई. इसके बाद उन्होंने एक सरकारी स्कूल को बतौर टीचर जॉइन किया और उस स्कूल में अंजुम की एनसीसी भी शुरू करवाई. एनसीसी कैंप में पिस्टल चलाने के बाद उसे सेक्टर-25 की शूटिंग रेंज में भी लेकर गई और वहां भी उससे पिस्टल चलवाई.

चंडीगढ़ की इस शूटर ने उधार की पिस्टल से लगाया था पहला निशाना, अब ओलंपिक में दिखाएंगी दम

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जब अंजुम ने स्टेट के लिए क्वालीफाई किया तब अंजुम के पास अपनी पिस्टल नहीं थी. उन्होंने किसी से पिस्टल मांग कर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और स्टेट के लिए क्वालीफाई किया. बाद में हमने अंजुम के लिए आगरा में हुई अगली प्रतियोगिता के लिए पिस्टल खरीदी.

अंजुम की मां ने बताया कि शुरुआत में हमने अंजुम के लिए कोच की व्यवस्था भी नहीं की थी. अंजुम एनसीसी के माध्यम से ही निशानेबाजी सीख रही थी. 2011 में अंजुम भारतीय निशानेबाजी टीम में शामिल हो गई. 2013 के बाद उसने प्रोफेशनल कोचिंग लेनी शुरू की.

अंजुम की मां ने कहा कि वह पुराने दिनों को याद करती हैं तो उन्हें एक बात हमेशा याद आती है कि जब वे अंजुम को पहली बार शूटिंग रेंज में लेकर गई थी तो वहां एनसीसी के बच्चों से शूटिंग करवाई जा रही थी. तब वहां पर अंजुम को शूटिंग करने नहीं दी गई थी क्योंकि वहां सिर्फ एनसीसी के बच्चों से ही शूटिंग करवाई जा रही थी.

अंजुम मोदगिल की उपलब्धियां

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तब खुद एक शख्स ने अंजुम को शूटिंग करने के लिए अपने पिस्टल दी. वे सोचती हैं कि अगर उस दिन वह व्यक्ति अंजुम को अपनी पिस्टल ना देता तो शायद अंजुम आज अंतरराष्ट्रीय शूटर ना होती. अंजुम के बीते दिनों को याद करते हुए इस दौरान अंजुम के माता-पिता भावुक हो गए.

वहीं इस मौके पर अंजुम के दादा ने बताया कि अंजुम बचपन से ही बहुत शांत स्वभाव की है. उसमें बहुत एकाग्रता भी है और शायद इसी वजह से वह आज दुनिया के बेहतरीन निशानेबाजों में शुमार हो चुकी है. हमें पूरी उम्मीद है कि वह ओलंपिक में भी बढ़िया प्रदर्शन करेगी.

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