चंडीगढ़:देशभर में कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई. करीब 2 महीने तक रहे लॉकडाउन के बाद सभी क्षेत्रों को कोरोना महामारी से काफी बुरा असर झेलना पड़ा. लॉकडाउन खुलने के बाद भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका काम नहीं शुरू हो पाया है. इन लोगों को दो वक्त की रोजी-रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो गया है. लोगों के घरों में काम करने वाली हाउस मेड्स इस वक्त सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं.
चंडीगढ़ में करीब 12 हजार मेड्स ने गवांई नौकरी
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग हाउसमेड की जगह खुद ही घर का काम करने लगे हैं. चंडीगढ़ में करीब 30 हजार फिमेल हाउस मेड्स (महिला घरेलू नौकर) परेशानी भरे वक्त से गुजर रही हैं, बताया जा रहा है कि यूपी, बिहार की रहने वालीं करीब 20 प्रतिशत हाउस मेड्स अपने घरों की तरफ लौट गईं, और करीब 20 से 25 प्रतिशत मेड्स को दोबारा काम ही नहीं मिला, वो अब बेरोजगार हैं.
लोग घरों में काम करवाने से कतराते हैं: ज्योति
चंडीगढ़ की एक कोठी में काम करने वाली महिला ज्योति ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि लॉकडाउन खुलने के बाद हालात बेहतर हो जाएंगे. मगर ऐसा नहीं हुआ, अभी भी उन्हें काम नहीं मिला है. कोठियों के मालिक अब काम नहीं करवाना चाहते. शहर में जिन मेड्स को काम मिला है, उनके पास भी पहले के हिसाब से बहुत कम काम है. पहले वो तीन से चार घरों में काम कर लेती थीं, अब मुश्किल से एक घर में काम मिल पाया है. कोरोना संक्रमण के चलते अब लोग खुद ही अपना काम कर रहे हैं, बहुत कम उनकी जैसी महिलाऐं हैं जो काम पर लौट पाई हैं.
ज्योति ने बताया कि उनके पति भी हिमाचल के इंडस्ट्रियल हब बद्दी में काम करते थे, मगर लॉकडाउन के बाद दूसरे प्रदेशों की सीमाएं नही खुलने के चलते उनके पति का काम भी ठप है. ऐसे में परिवार को चलाने की बड़ी परेशानी सामने खड़ी है. किसी ने लॉकडाउन के दौरान भी मदद नहीं की. यहां उनका राशन कार्ड भी नहीं है. सरकारी की तरफ से मिलने वाली मदद भी कागजातों के बिना ये नहीं ले पाते हैं. ये नौकरी ही उनका सहारा है, जो छिन गई.
परिवार का पेट पालने में भी दिक्कतें आ रही हैं: सोनू
वहीं चंडीगढ़ के मनीमाजरा में रहने वाली महिला सोनू ने बताया कि वो विधवा हैं. पति का देहांत कुछ समय पहले हो चुका है. अब काम नहीं होने के चलते परिवार को चलाना मुश्किल है.