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ओपी चौटाला का 'मास्टर स्ट्रोक' है नीतीश कुमार से मुलाकात! हरियाणा में बन रहे नए समीकरण

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Op chautala ex cm Haryana) राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे मोर्चे के गठन (Third Front Formation op chautala) की तैयारी कर रहे हैं. इसकी शुरूआत उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मुलाकात के साथ की. लेकिन इसका हरियाणा की राजनीति पर कितना असर पड़ेगा ये बड़ा सवाल है.

Third Front Formation
Third Front Formation

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Published : Aug 1, 2021, 5:44 PM IST

चंडीगढ़: जेबीटी भर्ती घोटाला (jbt recruitment scam) में सजा पूरी कर तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (Op chautala ex cm Haryana) राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय हैं. हरियाणा के राजनीतिक समीकरण को बदलने के लिए फिलहाल वो फ्रंट फुट पर खेलते नजर आ रहा हैं. हाल ही में ओपी चौटाला ने राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे मोर्चे के गठन (Third Front Formation op chautala) का एलान किया था.

अब तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर उन्होंने प्रयास तेज कर दिए हैं. इसकी शुरूआत उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मुलाकात के साथ की. इसकी शुरूआत उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार (Nitish Kumar Chief Minister Bihar) से मुलाकात के साथ की. हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके ओमप्रकाश चौटाला इस मोर्चे के लिए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से मुलाकात करेंगे. इतना ही नहीं ओमप्रकाश चौटाला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बसपा सुप्रीमो मायावती को भी तीसरे मोर्चे से जोड़ना चाहते हैं.

ओम प्रकाश चौटाला ने तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मुलाकात की है.

रविवार को गुरुग्राम में ओपी चौटाला की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जो मुलाकात हुई है. उसमें भी तीसरे मोर्चे के गठन और ताजा राजनीतिक हालातों पर चर्चा हुई. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या तीसरे मोर्चे के गठन से हरियाणा की राजनीति पर कोई असर पड़ेगा. अगर पड़ा भी तो कितना. अगर नहीं तो फिर ओपी चौटाला इस समीकरण से क्या नया निकालना चाहते हैं?

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राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस मोर्चे का हरियाणा की राजनीति पर कोई असर पड़ेगा. ऐसी संभावना कम ही है. क्योंकि जिन दलों को चौटाला मोर्चे में शामिल करना चाहते हैं, वो सब क्षेत्रीय दल हैं और अपने-अपने प्रदेशों तक ही सीमित हैं. अपने प्रदेश में भी इन दलों की हालत कोई ज्यादा अच्छी नहीं है. ऐसे में ये सभी दल साथ आते भी हैं तो हरियाणा में इनका जनाधार क्या होगा. ये भविष्य के गर्भ में है. हालांकि ओपी चौटाला का हरियाणा में अपना अलग से वोट बैंक है. जो फिलहाल छिटक गया है. उसी के जरिए वो सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे हैं.

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