चंडीगढ़:कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. किसान कानूनों में किसी भी तरह के बदलाव को लेकर सहमत नहीं है, किसानों को साफ तौर पर कहना है कि कृषि कानून वापस होने चाहिए. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ सरकार को लगाए फटकार किसान नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है.
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागत है- किसान नेता
किसानों का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागत करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि जो कानून किसानों के लिए लाए गए हैं. अगर किसान उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहता तो केंद्र सरकार उन्हें वापस क्यों नहीं ले रही.
कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर क्या बोले चंडीगढ़ के किसान? देखिए रिपोर्ट उन्होंने कहा कि ना सिर्फ किसान बल्कि समाज के दूसरे लोग जैसे वकील आदि भी इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वकील कानून के जानकार लोग हैं और वह भी साफ तौर पर कह रहे हैं कि यह कानून किसानों के लिए सही नहीं है, लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा. अगर सरकार किसानों के बारे में सोचती है तो सरकार के पास मौका है कि वे अब भी इन कानूनों को रद्द कर दे.
क्या प्रदर्शन में शामिल बच्चे भी आतंकवादी है- किसान
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में मौजूद अन्य किसानों ने कहा की सरकार आंदोलन में मौजूद किसानों पर आतंकवादी होने का आरोप लगा रही है. यह बेहद शर्मनाक बात है. आंदोलन में छोटे बच्चे और बड़े बुजुर्ग भी शामिल हैं क्या सरकार उन्हें भी आतंकवादी कहेगी. हम लोग सिर्फ अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं. सरकार आंदोलन को हाईजैक होने और खालीस्तान से फंडिंग होने की बात भी कर रही है. यह किसानों को बदनाम करने का तरीका है.
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'अंबानी-अडानी देते हैं सरकार को पैसा'
किसानों ने कहा कि भाजपा किसानों के ऊपर कोई आरोप लगाने से पहले खुद यह बताए की सरकार के पास दूसरी पार्टियों के विधायक और सांसद खरीदने के लिए पैसे कहां से आते हैं. आज सरकार बंगाल में विपक्षी पार्टियों के नेताओं को 100 करोड़, 200 करोड़ में खरीद रही है सरकार वह पैसा कहां से ला रही है. साफ है कि इस काम के लिए सरकार को अडानी और अंबानी पैसे दे रहे हैं. उनका कहना था कि यह कानून पीएम मोदी ने नहीं बनाया यह कानून अडानी और अंबानी ने बनाया है. मोदी ने सिर्फ इसे लागू किया है.