चंडीगढ़: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने पराली के मामले में पंजाब सरकार को वित्तीय प्रोत्साहन को लेकर हरियाणा से सीख लेनी की टिप्पणी की. इसके बाद हरियाणा सरकार की ओर से भी प्रतिक्रिया आई. आखिर हरियाणा पराली प्रबंधन को लेकर क्या ऐसा कर रहा है? जिसको पंजाब को सीखने की जरूरत है.
हरियाणा सरकार किसानों को दे रही प्रोत्साहन राशि: पराली ना जलाने को लेकर हरियाणा सरकार ना सिर्फ जागरूकता अभियान चला रही है, बल्कि हरियाणा सरकार ने पराली ना जलाने और पराली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही कृषि विभाग किसानों को पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न मशीन और उपकरण भी मुहैया करा रहा है. जिससे पराली के केसों में कमी आई है.
600 करोड़ का अनुदान: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए 600 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है. किसानों को प्रति एकड़ 1 हजार रुपये की आर्थिक सहायता की जाती है. पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार फसल के विविधीकरण की पर भी जोर दे रही है. साल 2020 में सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत योजना शुरू की थी. इसका मकसद किसानों को धान की बजाय अन्य फसल में पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना है. धान की जगह अन्य फसल उगाने वाले किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है.
हरियाणा सरकार ने उठाए कई कदम: मुख्य सचिव ने बताया कि पराली को जलने से रोकने के लिए सभी जिला उपायुक्त, कृषि विभाग के अधिकारी और पुलिस अधीक्षक मेहनत कर रहे हैं. हरियाणा के कुछ जिलों को छोड़ दिया जाए, तो लगभग धान आवक का काम पूरा हो चुका है. केंद्र सरकार की हरियाणा में पराली जलाने से रोकने को लेकर पूरी मदद कर रही है. केंद्र सरकार से जो भी मदद मांगी जाती है, वो मिलती है. राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें उपलब्ध करवा रही है.
ICAR की मदद से हरियाणा में पराली निपटा को लेकर बायो प्रोजेक्ट्स के ऊपर काम चल रहा है. इसके साथ ही पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए 'हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ - 2023' योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना का उद्देश्य बायोमास आधारित परियोजनाओं के लिए धान के भूसे की आपूर्ति सुनिश्चित करना है. इसके साथ ही पराली के मामले में हरियाणा की व्यापक रणनीति में इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन दोनों शामिल हैं. जिसमें आग की घटनाओं के आधार पर गांवों को लाल, पीले और हरे क्षेत्रों में वर्गीकृत कर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.