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Stubble Burning In Haryana: हरियाणा में फिर शुरू हुआ पराली जलने का सिलसिला, 10 दिन में सामने आए 47 मामले, जानें क्या कहते हैं आंकड़ें

Stubble Burning In Haryana: हरियाणा में पराली जलने की शुरुआत हो चुकी है. बीते 10 दिनों में प्रदेश में पराली जलाने के 47 नए मामले सामने आए हैं. हालांकि, पराली जलाने में पंजाब हरियाणा से आगे है. हरियाणा सरकार पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई कर रही है तो पराली न जलाने वाले किसानों को सम्मानित भी कर रही है.

Stubble Burning In Haryana
पराली जलाने पर एक्शन लेगी सरकार

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 30, 2023, 5:27 PM IST

Updated : Sep 30, 2023, 6:16 PM IST

चंडीगढ़: धान की फसल की कटाई के साथ ही पंजाब और हरियाणा में किसान फसलों के अवशेष यानी पराली को जलाना शुरू कर देते हैं. जिससे एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है. यह समस्या हर साल की है इसकी वजह से एनसीआर का इलाका गैस चेंबर बन जाता है. हालांकि पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों की सरकार पराली जलाने के मामले को लेकर कई तरह के कदम उठा रही है. लेकिन इसके बावजूद भी इस समस्या पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई है.

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रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़े:धान के अवशेष जलाने का आंकड़ा रियल टाइम मॉनिटरिंग 15 सितंबर से जुटाना शुरू करता है. हालांकि पराली जलाने के अधिक मामले अक्टूबर शुरू से अंत तक अधिक आते हैं. वहीं, इस साल सितंबर 15 से 29 सितंबर तक के आंकड़ों को देखें तो यह धीरे धीरे बढ़ने शुरू हो गये हैं. जैसा कि पिछले कई सालों से देखने को मिल रहा है कि पंजाब में हरियाणा के मुकाबले अधिक पराली जलाने के मामले आते हैं, कुछ वैसा ही इस बार के आंकड़ों में दिखाई देना शुरू हो गया है.

पराली जलाने में हरियाणा से आगे है पंजाब

हरियाणा से ज्यादा पंजाब में जलती है पराली:15 सितंबर से 29 सितंबर के आंकड़े साफतौर पर बता रहे हैं कि हरियाणा के मुकाबले पंजाब में करीब तीन गुना अधिक पराली जलाने के मामले अब तक सामने आये हैं. हरियाणा में कुल मामले 49 हैं तो वहीं पंजाब में 133 मामले अभी तक सामने आये हैं. अगर इस मामले में यूपी, दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान की बात करें तो इसमें पराली जलाने के आंकड़े अभी काफी कम हैं. उत्तर प्रदेश 15, दिल्ली 01, मध्य प्रदेश 10 और राजस्थान 06 है.

क्या कहते हैं पराली जलाने के आंकड़े

सरकार का पराली एक्शन: हरियाणा सरकार पंजाब के मुकाबले पराली के मुद्दे पर बीते करीब नौ सालों से लगातार काम कर रही है. सरकार जहां किसानों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है. वहीं उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए भी काम कर रही है. हाल ही में हरियाणा में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कड़े निर्देश भी जारी किए.

खेत में आग लगाई तो सरकार लेगी जुर्माना: सरकार की तरफ से खेतों में लगने वाली आग से निपटने में किसी भी तरह की नरमी न बरतने की बात कही गई है. इसके लिए जिला अधिकारियों से जुर्माना लगाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है. इसके लिए मुख्य सचिव ने कृषि और पुलिस विभाग के अधिकारियों को जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर तैनात करने के लिए कहा है. इसके साथ ही खेतों में लगने वाली आग की निगरानी करने और उस पर नियंत्रण पाने के लिए मिल जुलकर काम करने के लिए कहा गया है.

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क्या है तैयारी और क्या होगी कार्रवाई:पराली जलाने वाले लोगों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश सरकार ने दिए हैं. अधिकारियों से किसान नेताओं के साथ जुड़ कर सरकार के प्रोत्साहनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कहा गया है. हरियाणा सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन प्रदान करती है. मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि पराली जलाने वाले लोगों पर लगाए गए जुर्माने को समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाए, ताकि अन्य लोगों को इसके नुकसान का पता चल सके.

हरियाणा में कम हुए पराली जलाने के मामले: हरियाणा सरकार पिछले कई सालों से पराली जलाने की समस्या पर लगातार काम कर रही है. जिसके प्रभावशाली परिणाम भी मिले हैं. जिसके चलते 2021 और 2022 के बीच प्रदेश के सभी जिलों में पराली जलाने से जुड़ी आग की घटनाओं में करीब 50 फीसदी तक की कमी आई है. जिसकी वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष एम एम कुट्टी ने भी वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य सरकार के कामों की सराहना की है.

पराली के अब तक के आंकड़े

क्या है सरकार का लक्ष्य: सरकार ने साल 2023 में पराली प्रबंधन के लिए लक्ष्य भी निर्धारित किया है. राज्य का लक्ष्य लगभग 37 लाख टन धान की पराली का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना है. इसका लगभग एक-तिहाई हिस्सा विभिन्न उद्योगों द्वारा दोबारा उपयोग किया जाएगा. प्रमुख उद्योगों में अनुमानित मात्रा 13.54 लाख मीट्रिक टन धान के भूसे की खपत होने की संभावना है. राज्य सरकार ने पूसा बायो डीकंपोजर के माध्यम से 5 लाख एकड़ धान क्षेत्र का लक्ष्य रखने की पहल की है.

हरियाणा सरकार की योजनाएं: पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के एनसीटी को कवर करते हुए केंद्र प्रायोजित योजना, फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. हरियाणा सरकार ने धान की फसल के अवशेषों के इन-सीटू/एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये, मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत वैकल्पिक फसलों के साथ धान के क्षेत्र के विविधीकरण के लिए प्रति एकड़ 7000 रुपये और धान की सीधी बुआई अपनाने के लिए 4,000-प्रति एकड़ दिए जाने की योजना चलाई हुई है.

पराली न जलाने पर किसानों को इनाम:मुख्य सचिव ने बताया कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग ने कृषि और किसान कल्याण विभाग के सहयोग से विभिन्न उद्योगों के निकट गांवों के बायोमास उत्पादक समूहों की पहचान की है. रेड जोन में शून्य-जलन लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल करने वाली पंचायतों को एक लाख रुपये से पुरस्कृत किया जाएगा. जबकि शून्य-जलन लक्ष्य तक पहुंचने वाले येलो जोन के गांवों को प्रोत्साहन के रूप में 50,000 दिए जाएंगे. इसके साथ ही गौशालाओं को सहायता के लिए गांठों के लिए परिवहन 500 रूपये प्रति एकड़ और अधिकतम सीमा 15,000 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है.

29 सितंबर को हरियाणा में 17 पराली जलाने के मामले

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पराली जलाने वाले जिले: सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पराली जलाने की घटनाओं में करनाल 68.51% की कमी के साथ सबसे आगे है, जहां साल 2021 में 956 घटनाओं से घटकर साल 2022 में मात्र 301 रह गई. फरीदाबाद जिला में 66.67 %, पानीपत जिला में 66.54 %, हिसार में 53.06% , फतेहाबाद में 48.14% , जींद में 44.63%, कैथल में 42.56%, कुरुक्षेत्र में 44.24% की कमी के साथ बेहतर स्थिति में हैं.

Last Updated : Sep 30, 2023, 6:16 PM IST

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