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पीजीआई चंडीगढ़ में खुला उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक, गंभीर रूप से जले मरीजों के बेहतर इलाज में मिलेगी मदद - How does a skin bank work

Skin Bank Chandigarh- चंडीगढ़ में उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक खोला गया है. स्किन बैंक के खुलने से उन मरीजों को फायदा होगा जो बुरी तरह से जल जाते हैं.अस्पतालों में लीवर, किडनी जैसे अंग दान कर किसी की जिंदगी बचायी जाती है वैसे ही स्किन दान कर गंभीर रूप से जले हुए लोगों की भी जिंदगी बचायी जा सकती है.

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पीजीआई चंडीगढ़ में खुला उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 8, 2023, 1:12 PM IST

Updated : Dec 8, 2023, 3:01 PM IST

पीजीआई चंडीगढ़ में खुला उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक

चंडीगढ़:पीजीआई चंडीगढ़ में सात नंवबर को प्लास्टिक सर्जरी विभाग के तहत स्किन बैंक की शुरुआत की गयी. प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. अतुल पराशर के अनुसार स्किन बर्न और गंभीर चोट के मरीजों को स्किन बैंक से काफी फायदा पहुंचेगा. उनके घाव को जल्द भरने में इससे मदद मिलेगी.

क्या है स्किन बैंक:जिस प्रकार हम शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे किडनी, लीवर आदि को जरूरतमंद लोगों को डोनेट करते हैं उसी प्रकार अब स्कीन भी डोनेट किया जा सकता है. स्किन को उचित प्रकिया अपना कर कई सालों तक प्रिजर्व किया जा सकता है. पीजीआई चंडीगढ़ के ट्रॉमा सेंटर की चौथी मंजिल पर स्किन बैंक खोला गया है. स्किन बैंक को लेकर कोई भी जानकारी लेने के लिए 0172-2755493 नंबर पर कॉल किया जा सकता है. साथ ही पीजीआई की ऑफिसियल वेबसाइट पर भी जानकारी ली जा सकती है.

स्किन बैंक खोलने की जरूरत क्यों पड़ी : प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अतुल पराशर के अनुसार देश में हर साल जलने से पांच सौ से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. एसिड अटैक से भी कई लोग झुलस जाते हैं. ऐसे लोगों की उचित इलाज में स्किन बैंक बहुत मददगार साबित होगा. डोनेट किए हुए स्कीन की सहायता से मरीज जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं. इससे इलाज के कॉस्ट पर भी असर होगा. मरीज का घाव जल्दी भरने में मदद मिलेगी.

किनकी स्किन डोनेट की जा सकती है?: प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर प्रमोद कुमार के अनुसार स्वस्थ्य व्यक्ति की शरीर से ही स्कीन ली जा सकती है. जिन लोगों को कैंसर, एड्स या कोई संक्रमण की बीमारी हो उनकी स्किन नहीं ली जा सकती है. भारत सरकार के नियमों के मुताबिक कोई भी जिंदा व्यक्ति अपनी स्किन डोनेट नहीं कर सकता. ऐसे में ब्रेन डेड की स्थिति में या किसी कारणवश जिनकी मौत हो जाती है उनके परिजन की सहमति से स्किन ली जा सकती है. डॉ. अतुल पराशर के अनुसार मौत के छह घंटे के भीतर ही मृतक के शरीर से स्किन ली जा सकती है. छह घंटे के अंदर ली गयी स्किन को सही ढंग से प्रिजर्व कर के रखा जाता है.

डोनेट स्किन कैसे मरीजों को मदद पहुंचाती है?:प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर प्रमोद कुमार के अनुसार एक व्यक्ति की स्किन उसे हर तरह के संक्रमण से बचाती है. लेकिन जले हुए व्यक्ति की त्वचा पूरी तरह डेड हो जाती है जिससे वह जल्दी संक्रमण का शिकार हो जाता है. ऐसे में डोनेट स्वस्थ स्किन को गंभीर रूप से जले मरीजों के शरीर पर लगा कर उसे संक्रमण से बचाया जा सकता है. बाद में मरीज खुद अपनी स्किन पैदा कर लेता है. डोनेट स्किन दस से पन्द्रह दिनों तक सुरक्षा कवच का काम करती है. डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि 10 से 15 प्रतिशत जलने वाले मरीजों की उनके शरीर से ही स्किन लेकर इलाज किया जा सकता है लेकिन जो मरीज पचास प्रतिशत से अधिक जल जाते हैं उनका इलाज डोनेट स्किन से ही संभव है.

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Last Updated : Dec 8, 2023, 3:01 PM IST

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