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किसानों पर देशद्रोह का केस दर्ज करना असंवैधानिक, जानिए क्या कहते हैं कानून के जानकार

देशद्रोह का मुकदमा दर्ज, ये सुनने में बहुत बड़ा लगता है. हाल ही के दिनों में कई लोगों पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज हुए हैं. ऐसे में ये चर्चा का विषय बन गया है कि क्या सरकार के खिलाफ बोलने पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है?

Farmer Sedition Case Unconstitutional
Farmer Sedition Case Unconstitutional

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Published : Jul 16, 2021, 8:55 AM IST

Updated : Jul 16, 2021, 11:31 AM IST

चंडीगढ़: डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Ranbir Gangwa Car Attack) की गाड़ी पर हमले के मामले में दो नामजद और करीब सौ किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में पांच किसानों की वीडियोग्राफी के आधार पर गिरफ्तारी हुई है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या सरकार का विरोध करने पर देशद्रोह की धारा दर्ज की जा सकती है.

इसको लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के वकील फैरी सोफत ने बताया कि किसी के ऊपर भी देशद्रोह का मामला (Farmer Sedition Case Unconstitutional) दर्ज नहीं किया जा सकता. ये असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि देश में राइट टू फ्रीडम एंड एक्सप्रेशन है. हर कोई अपनी बात कह सकता है. हर किसी को अपनी मांग मांगने का अधिकार है. ऐसे में प्रदर्शन के दौरान अगर किसी को चोट लग जाती है, तो पुलिस आईपीसी या फिर सीआरपीसी की धारा जोड़कर एफआईआर दर्ज कर सकती है, किसी भी तरीके से इसमें देशद्रोह की धारा नहीं जोड़ी जा सकती.

किसानों पर देशद्रोह का केस दर्ज करना असंवैधानिक, जानिए क्या कहते हैं कानून के जानकार

वकील फैरी सोफत ने बताया कि देशद्रोह कोई छोटा मोटा जुर्म नहीं होता. देश के साथ गद्दारी करना, देश की कोई सीक्रेट जानकारी अन्य देश को देना, देश में रहकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होना देशद्रोह में शामिल है. वकील फैरी सोफत के मुताबिक देशद्रोह के मामले तो बड़ी संख्या में दर्ज किए जाते हैं, लेकिन जब अदालतों में मामले की सुनवाई होती है, तो उस वक्त कोई पर्याप्त सबूत ना होने के कारण आरोपी बरी हो जाते हैं. इन मामलों में कनविक्शन रेट बहुत कम है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर हमला करने के आरोप में 100 से ज्यादा किसानों पर देशद्रोह का केस

बता दें कि इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये मुकदमा ब्रिटिश राज के दौरान इस्तेमाल किया जाता था. उस वक्त भारत को आजादी नहीं मिली थी. उस वक्त फ्रीडम मूवमेंट और महात्मा गांधी के खिलाफ इस तरह के मामले दर्ज किए थे. आज के समय में ये बहुत आम हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आजादी के इतने साल बाद भी क्या इस कानून की जरूरत है या नहीं.

Last Updated : Jul 16, 2021, 11:31 AM IST

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