चंडीगढ़: हरियाणा में स्कूल खोलने के बाद फतेहाबाद के एक स्कूल में 6 बच्चे कोरोना पॉजिटिव (Six Student Covid-19 Positive) पाए गए हैं. जिससे यह माना जा रहा है कि स्कूलों के खुलने से बच्चों में पॉजिटिव रेट बढ़ता है तो क्या यह तीसरी लहर की शुरुआत है. यह बात माता-पिता के लिए काफी डराने वाली है. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर सोनू गोयल से बात की.
प्रोफेसर सोनू गोयल का कहना है कि इसे तीसरी लहर (Corona Third Wave in India) की शुरुआत नहीं माना जा सकता. अभी तक आने वाले मामलों में इतना बड़ा उछाल नहीं आया है कि इसे तीसरी रह की शुरुआत माना जाए. इसके अलावा मुख्य बात यह है कि सिरों सर्वे (Sero Survey) के आंकड़ों के अनुसार देश में 60 से 70% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है यह वह लोग हैं या तो जिम में करो ना हो चुका है या जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है, लेकिन बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है ऐसे में बच्चों को करोना होना स्वभाविक है.
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प्रोफेसर सोनू गोयल ने बताया कि राहत की बात यह है कि बच्चे कोरोना से गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे. बच्चे कोरोना संक्रमित होकर जल्दी ही ठीक हो जाएंगे, हालांकि जिन बच्चों का वजन ज्यादा है या डायबिटिक हैं उनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बच्चे जब स्कूल जाएंगे तो वह दूसरे लोगों के संपर्क में आएंगे बच्चे हर समय मास्क नहीं पहनते और बार-बार उतारते रहते हैं. ऐसे में वे आसानी से करोना की चपेट में आ सकते हैं.
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डॉक्टर सोनू ने बताया कि कोरोना फेफड़ों के सेल में पाए जाने वाले रिसेप्टर से व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है, लेकिन बच्चों के रिसेप्टर पूरी तरह से बने नहीं होते. यही वजह है कि कोरोना बच्चों को पूरी तरह से अपनी चपेट में नहीं ले पाता. उन्होंने बताया कि जब तक बच्चों को वैक्सीन (Vaccination For Child) नहीं लग जाती तब तक बच्चों में कोरोना के केस आ सकते हैं. माता-पिता यह ध्यान रखें कि अगर घर में बुजुर्ग लोग हैं और कोई बच्चा कोरोना वायरस संक्रमित हो जाता है तो वह उनसे दूर रखें क्योंकि बच्चे के जरिए दूसरों को करोना ट्रेवल कर सकता है.
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