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बॉन्ड पॉलिसी को लेकर चंडीगढ़ में डॉक्टर्स की अधिकारियों के साथ पहले दौर की बैठक रही बेनतीजा

बॉन्ड पॉलिसी के मुद्दे पर चंडीगढ़ में रेजिडेंशियल डॉक्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों के साथ बैठक की. पहले दौर की बैठक में बातचीत बेनतीजा रही है.

bond policy mbbs student protest in rohtak
bond policy mbbs student protest in rohtak

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Published : Nov 25, 2022, 10:34 PM IST

चंडीगढ़: बॉन्ड पॉलिसी के मुद्दे पर चंडीगढ़ में रेजिडेंशियल डॉक्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों के साथ बैठक की. रेजिडेंशियल डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अंकित गुलिया ने बताया कि 2 से 3 घंटे हमारी उच्च अधिकरियों के साथ बैठक चली, लेकिन अभी तक जो हमारे मुख्य मुद्दे थे. उनपर सहमति नहीं बन पाई है. 1 घंटे के ब्रेक के बाद दूसरे दौर की वार्ता फिर शुरू होगी.

MBBS छात्रों की मांग है कि बैंक की हिस्सेदारी हटाई जाए. सीधा संबंध सरकार और बच्चों के बीच में हो. MBBS खत्म होने के 2 महीने के अंदर छात्रों को जॉब की गारंटी दी जाए. 40 लाख की बॉन्ड पॉलिसी को हटाकर 5 लाख का किया जाए. 7 साल की सरकारी संस्थान में सेवा की अवधि को घटाकर 1 साल किया जाए. पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई को लेकर स्पष्टीकरण दिया जाए. 4 और 14 नवंबर को दर्ज हुई छात्रों के खिलाफ एफआईआर रद्द की जाए.

2 नवंबर से जारी है प्रदर्शन- गौरतलब है कि पीजीआई रोहतक में एक नवंबर से बांड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई थी. 2 नवंबर से विद्यार्थी डीन व डायरेक्टर ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए थे. 5 नवंबर को रोहतक पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी विद्यार्थियों की मुलाकात कराई गई थी लेकिन मुख्यमंत्री ने पॉलिसी वापस लेने से इनकार कर दिया था. हालांकि ज्यादा विरोध बढ़ने पर 7 नवंबर को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर पॉलिसी में कुछ संशोधन कर दिया. जिसके तहत बांड की शर्त एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों पर लागू कर दी. लेकिन यह संशोधन भी आंदोलनकारी एमबीबीएस विद्यार्थियों को मंजूर नहीं है. वे तो यही चाहते हैं कि बांड की शर्त ही न लागू हो.

ये भी पढ़ें- सरकार ने नहीं मानी मांग तो विधानसभा में उठाएंगे बॉन्ड पॉलिसी का मुद्दा: भूपेंद्र सिंह हुड्डा

हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी क्या है- दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 4 साल में 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. छात्र को हर साल 10 लाख रुपये बॉन्ड के रूप में देने होंगे. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी.

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