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रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा: हवा में दो घंटे तक ट्रैवल कर सकता है कोरोना वायरस, दो गज की दूरी भी है नाकाफी

क्या कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है? जी हां, कोरोना वायरस हवा में रह भी सकता है और दूसरों को संक्रमित भी कर सकता है. ये एक ज्वाइंट रिसर्च से सामने आया है. डॉक्टर भी इस रिसर्च से सहमत हैं. डॉक्टरों का कहना है कि वेंटिलेशन ही एकमात्र उपाय है जिससे लोग संक्रमित होने से बच सकते हैं.

coronavirus can spread through the air and infect people
coronavirus can spread through the air and infect people

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Published : May 21, 2021, 9:58 AM IST

चंडीगढ़:ये बात लगातार सामने आ रही है कि कोरोना वायरस हवा के जरिए लोगों को संक्रमित कर सकता है और वायरस हवा में कई घंटों तक बना रह सकता है. इसी को लेकर वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की. इस रिसर्च में ये सामने आया कि अगर किसी जगह पर कोई संक्रमित व्यक्ति आया तो उसके जाने के बाद 2 घंटे तक वायरस हवा मे रह सकता है और दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है.

बता दें कि ये बात एक ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च में सामने आई है. इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी चंडीगढ़, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन साइंटिफिक ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईओ) चंडीगढ़, सीसीएमबी हैदराबाद और सीएसआईआर की लैब की ज्वाइंट रिसर्च के आधार पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने देश भर के लिए गाइडलाइंस भी जारी की हैं.

क्लिक कर देखें वीडियो.

सीएसआईआर की तरफ से वैज्ञानिकों को ये कहा गया था कि वो इसके लिए दवा रहित उपाय निकालें. इसके लिए वैज्ञानिकों ने पिछले हफ्ते ही नई गाइडलाइन तैयार की थी जिसमें नेशनल बिल्डिंग कोड एनसीबी 2016 में बदलाव की सिफारिश की गई थी. गाइडलाइंस के अनुसार रेजिडेंशियल एरिया और ऑफिस में बदलाव की सिफारिश की है. ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेशन रखने की बात कही गई है.

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इमटेक चंडीगढ़ ने अपनी प्रैक्टिकल रिसर्च के जरिए बताया है कि संक्रमित व्यक्ति के कमरे से जाने के बाद भी 2 घंटे तक हवा में वायरस रहता है. गाइडलाइंस में कहा गया है कि 2 गज की दूरी नाकाफी है. संक्रमण से बचना है तो कम से कम 2 मीटर की दूरी होनी चाहिए.

वायरस को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने अलग-अलग डिसइंफेक्टेंट को उपयोग करने की सिफारिश भी की है. इसमें यूवी लाइट है, जो वायरस खत्म करती है. ये यूवी लाइट रॉड सीएसआईओ ने तैयार की है. इसके अलावा एसी में उपयोग होने वाला यूवी डक्ट. इसको भी सीएसआईओ ने तैयार किया है.

रिसर्च की मुख्य बातें.

रिसर्च को लेकर क्या बोले डॉक्टर?

चंडीगढ़ पीजीआई के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके जिंदल ने बताया की वायरस हवा में मौजूद रह सकता है और संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को संक्रमित भी कर सकता है. ये समस्या छोटे कमरों में ज्यादा है, क्योंकि अगर किसी बड़े हॉल में वायरस फैलता है तो वो लोगों को कम नुकसान पहुंचाएगा. लेकिन अगर छोटे कमरे में वायरस होगा तो वहां मौजूद लोगों को वो ज्यादा प्रभावित कर सकता है.

उन्होंने कहा कि वेंटिलेशन बेहद जरूरी है. कमरों की हवा लगातार बहती रहे जिससे कुछ ही घंटों में हवा पूरी तरह से बदल जाए. इसके लिए कमरों की खिड़कियों को खुला रखें और पंखा चलता रहे जिससे हवा ठहरे नहीं. जिन कमरों में खिड़कियां ज्यादा नहीं है या छोटी हैं उन कमरों में एग्जॉस्ट फैन लगवाएं, जो कमरे की हवा को लगातार बाहर फेंकता रहे ताकि कमरे में ताजी हवा आ सके.

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