चंडीगढ़:हरियाणा में बीजेपी ने जेजेपी और निर्दलीयों के सहारे एक बार फिर सत्ता में वापसी कर ली है. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 75 पार मिशन काफी दूर रहा. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का चुनाव हार जाना भी बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ. बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री रहे रामबिलास शर्मा, ओपी धनकड़, कैप्टन अभिमन्यु, कविता जैन और कृष्ण लाल पंवार जैसे नेताओं को इस चुनाव में हार देखने को मिली.
13 में से 3 मंत्री ही कर पाए वापसी
इस बार विधानसभा चुनाव में राज्य मंत्री कृष्ण बेदी, मनीष ग्रोवर, कर्म देव कंबोज भी विधानसभा में वापसी नहीं कर पाए. जबकि 2 कैबिनेट मंत्री रहे विपुल गोयल और राव नरबीर सिंह की बीजेपी ने चुनाव में टिकट काट दी थी. ऐसे में मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्रियों में से केवल तीन ही सत्ता में वापसी कर पाए जबकि राज्यमंत्री नायब सैनी सांसद बन गए है. जिलके चलते हरियाणा विधानसभा के होने वाले सत्र में बीजेपी को इन नेताओं की बड़ी कमी खल सकती है.
विपक्ष के 'चक्रव्यूह' से बीजेपी को कौन लगाएगा पार?
हरियाणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री रामबिलास शर्मा. ओपी धनकड़ और कैप्टन अभिमन्यु जहां अपनी दमदार छवि के लिए जाने जाते रहे. वहीं अपने अनुभव से विधानसभा में विपक्षी पार्टियों के हमलों से भी बीजेपी को बचाते रहे हैं. रामबिलास शर्मा जो कि संसदीय कार्य मंत्री भी रहे अक्सर विपक्ष पर चुटीले अंदाज में हमले बोलने के लिए जाने जाते थे. वहीं वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु भी ना केवल विपक्ष को घेरते नजर आते थे बल्कि अपनी सरकार का पक्ष भी आंकड़ों एवं तथ्यों के आधार पर मजबूती से रखते नजर आते थे. इसके साथ ही पूर्व कृषि मंत्री ओपी धनखड़ भी विपक्ष के हर सवाल का जवाब न केवल बखूबी देते थे, बल्कि विपक्ष को भी मजबूती से घेरते रहे थे.
विपक्ष के सामने अकेले विज ही हैं 'दीवार'
वहीं महिला मंत्री कविता जैन और परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार भी बीजेपी सरकार पर होने वाले विपक्षी पार्टियों के हमले का जवाब बखूबी देते रहे थे. इसके साथ राज्यमंत्री कृष्ण बेदी और मनीष ग्रोवर भी बहस में खुलकर अपनी सरकार की बात को रखते थे. इन वरिष्ठ नेताओं के चुनाव हारने के बाद अब जिम्मेदारी हरियाणा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पर है जो अपने तीखे अंदाज के लिए विधानसभा में भी जाने जाते हैं, मगर आने वाले वक्त में अनिल विज विपक्ष के हमलों को कितना रोक पाएंगे, ये भी देखना होगा. वहीं मुख्यमंत्री भी विपक्ष के हर सवाल का न केवल सहजता से जवाब देते है बल्कि अपने तरीके से विपक्ष को घेरते भी है.