चंडीगढ़: प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के इलाज के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है. जितने भी मरीजों का इलाज इस थेरेपी के जरिए किया गया है. उनमें से लगभग सभी मरीज ठीक हुए हैं. इस थेरेपी के शुरू होने के बाद ऐसा लगने लगा था, कि अब देश जल्द ही कोरोना पर जीत हासिल कर लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. इसके कारणों के बारे में जानने के लिए हमने पीजीआई के डॉक्टर पंकज मल्होत्रा से बात की. जो चंडीगढ़ पीजीआई में प्लाज्मा थेरेपी के जरिए मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
आखिर क्यों परेशान डॉक्टर?
ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉक्टर पंकज मल्होत्रा बताया कि इस थेरेपी के परिणाम काफी अच्छे हैं, लेकिन यहां डॉक्टर्स को काफी समस्या आ रही है. उनका का कहना है कि जो लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. वो प्लाज्मा डोनेट नहीं कर रहे हैं. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. शायद लोगों को लगता है कि प्लाज्मा डोनेट करने से उनकी इम्यूनिटी कम हो जाएगी या वे शारीरिक तौर पर कमजोर हो जाएंगे. साथ ही कई मरीज ऐसे हैं, जो दोबारा अस्पताल में नहीं आना चाहते. इस तरह की और भी कई वजह हैं. जिस वजह से लोग प्लाज्मा डोनेट नहीं कर रहे और इसीलिए प्लाज्मा थेरेपी के जरिए मरीजों का इलाज उस रफ्तार से नहीं हो पा रहा जिस रफ्तार से होना चाहिए था.
चंडीगढ़ में अबतक 6 मरीज ठीक
डॉक्टर पंकज का कहना है किप्लाज्मा थेरेपी से इलाज के लिए ट्रायल में करीब 450 मरीजों को लिया जाएगा, जिनमें से करीब 350 मरीज चुने जा चुके हैं. चंडीगढ़ पीजीआई में 7 मरीजों पर इस थेरेपी का इस्तेमाल किया गया है. जिनमें से 6 मरीज ठीक हो चुके हैं और एक मरीज रिकवर कर रहा है. डॉ. पंकज ने बताया कि आईसीएमआर ने पूरे देश के कई अस्पतालों में इस थेरेपी के लिए सेंटर बनाए हैं. चंडीगढ़ पीजीआई भी उन्हीं में से एक है.
चंडीगढ़ PGI में कोरोना से ठीक मरीज नहीं कर रहे प्लाज्मा डोनेट क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
उन्होंने ने बताया कि कोरोना के जो मरीज ठीक हो चुके हैं. उसके शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज का निर्माण हो जाता है और प्लाज्मा थेरेपी के जरिए हम उनके एंटीबॉडीज का इस्तेमाल दूसरे मरीज के इलाज के लिए करते हैं. ठीक हुए मरीज के ब्लड से प्लाज्मा निकाला जाता है और उस प्लाज्मा को दूसरे मरीज के शरीर में डाल दिया जाता है. जिससे उस मरीज का शरीर भी तेजी से एंटीबॉडीज का निर्माण करने लग जाता है और वो ठीक हो जाते हैं.
400 में से मात्र 6 ने डोनेट किया प्लाज्मा
उन्होंने ने कहा कि दिल्ली और महाराष्ट्र जैसी जगहों पर प्लाज्मा बैंक बनाने की बात हो रही हैं. क्योंकि एक व्यक्ति का प्लाज्मा लेकर उसे अगले 1 साल तक फ्रिज करके रखा जा सकता है. इसलिए प्लाजा बैंक होने से लगातार मरीजों का इलाज किया जा सकता है, लेकिन चंडीगढ़ में प्लाज्मा बैंक नहीं बनाया जा सकता. क्योंकि यहां पर लोग बेहद कम मात्रा में प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं. चंडीगढ़ में 400 के आस पास कोरोना मरीज आ चुके हैं. जिनमें से ज्यादातर ठीक हो चुके हैं लेकिन अभी तक सिर्फ 6-7 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया है.