चंडीगढ़: हरियाणा सरकार पंचायत चुनाव में लगातार देरी कर रही है. हरियाणा की पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, लेकिन अभी तक चुनाव की तारीख तय नहीं की गई है. जबकि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से लेकर कई मंत्री तक चुनाव की नोटिफिकेशन जल्द जारी करने की बात कह चुके हैं.
सीएम के बयान से बढ़ी सरगर्मी
वहीं इसी बीच सीएम खट्टर के ताजा बयान ने पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में सरगर्मी बढ़ा दी है. सीएम ने कहा कि अभी पंचायत चुनाव कराने का वातावरण नहीं है, इसलिए अभी ये चुनाव नहीं होंगे. अगर ऐसे वातावरण में चुनाव कराए जाएं तो लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन होगा.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा था कि किसान आंदोलन के चलते सरकार जानबूझकर पंचायत चुनाव में देरी कर रही है, सीएम के बयान के बाद साफ हो गया कि सरकार कहीं ना कहीं किसान आंदोलन से डरी हुई है.
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पंचायत चुनाव में हो रही देरी को लेकर हमने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ. सुरेंद्र धीमान से बातचीत की. जिन्होंने पंचायत चुनाव में देरी का मुख्य कारण किसान आंदोलन बताया और साथ ही दो कारण और बताए.
वरिष्ठ पत्रकार ने चुनाव में देरी के दो कारण और बताए
उन्होंने पहला कारण बताते हुए कहा कि पंचायतों की जो लिस्ट तैयार की जानी थी वो अंग्रेजी वर्णमाला के तहत तय की जानी थी. पंचायतों की लिस्ट ए से लेकर जेड तक बढ़ाई जानी थी. ये मामला मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा दिया गया था, लेकिन ये समय पर फाइनल नहीं हो पाया.
वहीं दूसरा कारण ये था कि सरकार को प्रदेश में नई पंचायतें बनानी थी. सरकार की ओर से प्रदेश में 106 नई पंचायतें बनाई भी गई, लेकिन उनके नामकरण से लेकर चुनाव तक 55 दिन का समय लगना था, लेकिन 23 फरवरी तक 55 दिन पूरे नहीं हो सकते थे इसलिए चुनाव में देरी भी तय थी.
किसान आंदोलन को माना देरी का मुख्य कारण
वरिष्ठ पत्रकार ने पंचायतों की लिस्ट में देरी और नई पंचायतों का समय पर नामकरण ना होना जैसे दो बड़े कारण बताए, लेकिन उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि अनाधिकारिक तौर पर बात करें तो सरकार ने कहीं ना कहीं ये माना है कि चुनाव किसान आंदोलन की वजह से टाले जा रहे हैं.