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विधायक रामकुमार गौतम Exclusive: बोले- जेजेपी में जाना सबसे गंदी और आखिरी भूल है, सुनिए और क्या बोले गौतम

जेजेपी में जाना रामकुमार गौतम की बड़ी भूल थी. ये फैसला उनकी जिंदगी का सबसे खराब फैसला था. ये बात खुद रामकुमार गौतम ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान कही. गौतम ने ये भी कहा कि वो जेजेपी के साथ सब खत्म करना चाहते हैं.

ramkumar gautam on jjp and dushyant chautala
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Published : Mar 5, 2021, 7:54 PM IST

चंडीगढ़:नारनौंद से जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम ने बजट सत्र के दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जेजेपी में जाना उनकी सबसे गंदी और बड़ी भूल थी. उन्हें जेजेपी में शामिल होने का दुख है और वो इसे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती मानते हैं.

उन्होंने कहा कि जिस वक्त इनेलो और भाजपा का हरियाणा में गठबंधन था तब उन्होंने चौटाला परिवार की बहुत मदद की थी, उनके लिए खूब चुनाव प्रचार भी किया था और जेजेपी में शामिल होने के बाद मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं इस परिवार का कोई कर्जा चुका रहा हूं.

राम कुमार गौतम ने बजट सत्र के बारे में बात करते हुए कहा कि कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव लाने से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इस बहाने कांग्रेस सिर्फ अपनी भड़ास निकालना चाहती है. साथ ही वो लोगों के सामने सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन करना चाहती है.

रामकुमार गौतम EXCLUSIVE: जेजेपी में जाना सबसे गंदी और बड़ी भूल थी

'मैं प्रधानमंत्री मोदी की इन बातों का कायल हूं'

कृषि कानूनों के बारे में उन्होंने कहा कि बेशक वो कृषि कानूनों का विरोध करते हैं, लेकिन वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े प्रशंसक हैं. खासकर उन बातों को लेकर जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा करके दिखाया. जैसे प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया. इसके अलावा सरकार ने राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया और तीसरा सरकार ने तीन तलाक को खत्म किया.

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'कृषि कानूनों को वापस ले लेना चाहिए'

रामकुमार गौतम ने कहा कि कृषि कानून अच्छे हैं या बुरे हैं इसके बारे में बाद में बात की जाएगी. लेकिन अगर विवाद इतना बढ़ चुका है तो सबसे पहले सरकार को इन कानूनों को वापस ले लेना चाहिए. आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है जो वो कानून वापस ना लेने पर अड़ी हुई है.

'मैं पीएम मोदी की जगह होता तो...'

रामकुमार गौतम ने कहा कि किसान आंदोलन की आड़ में विरोधी सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं. अगर सरकार इन कानूनों को रद्द कर देगी तो विरोधियों के पास सरकार खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं रह जाएगा, इसलिए सरकार को इन कानूनों को रद्द कर देना चाहिए और किसानों की सहमति और सुझाव के अनुसार नए कानून बनाने चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर वो प्रधानमंत्री होते तो तुरंत इन कानूनों को रद्द कर देते और किसान नेताओं से कहते कि वो सरकार से अगर बात करें और नए कानून को लेकर सुझाव दें.

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