चंडीगढ़: सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और साध्वियों के साथ रेप समेत हत्या के मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने का मामला कटघरे में है. हरियाणा की बीजेपी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि राजनीतिक लाभ के लिए सरकार राम रहीम को बार-बार पैरोल दे रही है. लेकिन सरकार इसके लिए कानून का हवाला देकर किनारा कर लेती है. जानकार मानते हैं कि हरियाणा सरकार के कानून ही राम रहीम की मदद कर रहे हैं. राम रहीम को पैरोल देने में सरकार की कितनी भूमिका है इसको लेकर ईटीवी भारत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एचसी अरोड़ा से बातचीत की.
हरियाणा में पैरोल का नियम- हरियाणा में कैदियों को पैरोल मिलने के मामले में एचसी अरोड़ा कहते हैं कि 1998 में पंजाब और हरियाणा में पैरोल देने के लिए अलग कानून था. पैरोल लेने के लिए कैदी को पहले कारण बताना होता था. जिसके तहत अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग अवधि तय की गई थी. लेकिन जुलाई 2022 में हरियाणा सरकार ने कानून बदल दिया. इस नये नियम के तहत हार्डकोर अपराधियों की परिभाषा बदल दी गई और पैरोल किसी भी कैदी को मिलने लगा. एचसी अरोड़ा के मुताबिक हरियाणा में अब पैरोल लेने के लिए कोई कारण बताना भी जरूरी नहीं है. इसमें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधी भी शामिल हैं.
बिना कारण बताये दी जाती है पैरोल- एचसी अरोड़ा कहते हैं कि जिन कैदियों को पहले 5 साल सजा पूरी होने तक पैरोल नहीं मिलती थी, उनको भी अब हरियाणा में पैरोल मिलने लगी. जेल जाने के पहले दिन से ही वो पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है. इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने 1 साल में 10 सप्ताह की पैरोल मिलने का नियम भी बना दिया. उसमें कैदियों का कोई भी वर्गीकरण नहीं किया गया है. सामान्य और हार्ड कोर अपराधी सभी इसका फायाद उठा सकते हैं. कैदी साल में दो बार कभी भी 10 हफ्ते की पैरोल ले सकता है, वो भी बिना वजह बताये. हरियाणा सरकार इस मामले में बहुत ही लिबरल हो गई है. समझ नहीं आता कि कैदी घर से जेल आते हैं या जेल से घर जाते हैं. जिस तरीके से नियमों में बदलाव किया गया उसको देखकर लगता है कि राम रहीम के लिए ही यह सब हुआ है, हालांकि इसका फायदा सभी कैदियों को मिल रहा है.
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मैंने एक बार पंजाब में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें मैंने मांग की थी कि रेप जैसे मामलों के दोषियों को रियायत नहीं दी जानी चाहिए. पंजाब सरकार ने वो बात मान ली थी. पंजाब में अब 15 अगस्त हो गया 26 जनवरी, रेप के दोषी को इस तरीके की छूट नहीं मिलती. हरियाणा सरकार के लिए लगता है वोट बैंक ही सबकुछ है. तभी तो कोई भी कैदी 90 दिन की पैरोल ले सकता है. इतनी छुट्टी फौज में नहीं मिलती, जितनी कैदी पैरोल ले लेते हैं. एचसी अरोड़ा, वरिष्ठ अधिवक्ता, पंजाब एवं हरियाणा होईकोर्ट
राम रहीम एक हजार कैदियों के बराबर-पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिकवक्ता कहा कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर और जेल राज्य सरकार का सब्जेक्ट है. कम से कम रेप जैसे मामलों में तो कम सरकार को एक संदेश देना ही चाहिए. यानी रेप के मामलों में सरकार को जीरो टॉलरेंस की थ्योरी अपनानी चाहिए. लेकिन यह तो सभी तरह के अपराधियों को बराबर समझते हैं. जिस शख्स ने रेप किया और हत्या भी की हो वह हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में आता है. उसको पहले 5 साल तक पैरोल नहीं मिलती थी. लेकिन हरियाणा ने तो नियम ही बदल दिया.