चंडीगढ़: सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आया है. साध्वी यौन शोषण और हत्या के मामले में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को फिर से एक बार फरलो मिली है. इस बार गुरमीत राम रहीम 3 सप्ताह की फरलो पर जेल से बाहर आया है. फरलो अवधि के दौरान वह बागपत के बरनावा आश्रम में रहेगा. जेल जाने के बाद से गुरमीत राम रहीम को आठवीं बार जेल से बाहर आया है. राम रहीम की इस फरलो को राजस्थान विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि गुरमीत सिंह राम रहीम राजस्थान से ही ताल्लुक रखता है.
राम रहीम पैरोल और चुनाव: गुरमीत राम रहीम को अभी तक कई मौकों पर फरलो और पैरोल मिली है, जब कहीं चुनाव होते हैं. इनमें पंजाब और हिमाचल विधानसभा चुनाव भी एक है. उस दौरान भी राम रहीम को पैरोल मिली थी. इसके साथ ही राम रहीम को हरियाणा के आदमपुर विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव के दौरान भी साल 2022 में फरलो मिली थी. इस वजह से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या गुरमीत राम रहीम को राजस्थान चुनाव की वजह से फरलो मिली? क्या पैरोल और फरलो के कोई चुनावी मायने हैं? क्या इसका चुनावी असर पड़ता है?
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि गुरमीत राम रहीम पहली बार किसी चुनाव के नजदीक जेल से बाहर नहीं आया है. इससे पहले पंजाब और आदमपुर चुनाव के दौरान भी वह जेल से बाहर आया था. वे कहते हैं कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में उसके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. राम रहीम खुद राजस्थान से है, जहां विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होने हैं. ऐसे में राम रहीम का बाहर आना इस बात का संकेत है कि इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भले ही पंजाब में इसका बड़ा असर देखने को न मिला हो, लेकिन इसका लाभ वहां जरूर मिल सकता है जहां पर उम्मीदवारों का कड़ा मुकाबला हो रहा हो. जहां तक राजस्थान के चुनावों का सवाल है, वहां कांग्रेस और बीजेपी की कड़ी टक्कर है. ऐसे में राम रहीम अपने अनुयायियों को किसी के पक्ष में जाने का निर्देश देता है तो वहां इसका असर पड़ सकता है.
राम रहीम को फरलो, क्या है राजनीतिक मायने?: वहीं, राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि राम रहीम के इस क्षेत्र यानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में लाखों अनुयायी हैं. वहीं, राम रहीम इससे पहले भी चुनावों के दौरान जेल से बाहर आ चुका है. इसके राजनीतिक मायने भी होते हैं. भले ही कोई खुले तौर पर न कहे, लेकिन राम रहीम अपने अनुयायियों को इंटरनल संदेश दे सकता है कि किस उम्मीदवार या दल को उन्हें वोट करना है. इसी वजह से कोई भी राजनीतिक दल हरियाणा में तो खासतौर पर उसकी फरलो या पैरोल का खुलकर विरोध नहीं करता है. क्योंकि राम रहीम के अनुयायी सभी दलों के लिए अहमियत रखते हैं.
क्या राजस्थान विधानसभा चुनाव में पड़ेगा असर?: वहीं, राजस्थान से राम रहीम का सीधा नाता है. ऐसे में दल विशेष इसका राजनीतिक लाभ भी उठाने की कोशिश कर सकता है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि पिछले चुनावी ट्रेंड देखें तो उनके जेल से बाहर आने का किसी सीट पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. पंजाब विधानसभा चुनावों के नतीजों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान जब राम रहीम जेल से बाहर आया था तो बीजेपी पर विपक्षी दलों का आरोप था कि वह इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहती है. लेकिन, चुनावी नतीजे हम सबके सामने हैं.