चंडीगढ़: हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि सरकार चालू सीजन के दौरान सूरजमुखी फसल की उपज की पूरी मात्रा 13,784 मीट्रिक टन की खरीद 5,650 रुपये प्रति कविंटल के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करेगी. उन्होंने बताया कि ये खरीद 5 जून से शुरू होगी. बता दें, सूरजमुखी की फसल मुख्य रूप से कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकुला जिले में उगाई जाती है.
हैफेड और एचएसडब्ल्यूडी करेगी सूरजमुखी की खरीद
सूरजमुखी की खरीद के लिए राज्य सरकार ने हरियाणा स्टेट कॉपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड ( हैफेड ) और हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन (एचएसडब्ल्यूसी) को नामित किया है.किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और किसानों को उनकी उपज को संकट पूर्ण बिक्री से बचाने के लिए सूरजमुखी की खरीद का फैसला किया गया है. राज्य सरकार ने फसल विविधीकरण कार्यक्रम के तहत तिलहन और दलहन को बढ़ावा देने के लिए पहले ही कई बड़ी कदम उठाए हैं.
इन जिलों में होगी खरीद
अतरिक्त मुख्यसचिव संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार 5 जून से अंबाला जिले में अंबाला कैंट, अंबाला शहर, मुलाना और शहजादपुर, पंचकूला जिले में बरवाला और कुरुक्षेत्र जिला में इस्माइलाबाद, शाहबाद और थानेसर में खरीद केंद्रों पर सूरजमुखी की खरीद शुरू करेगी. उन्होंने बताया कि चालू खरीफ सीजन में भारत सरकार की तरफ से अनुमोदित 3,446 मीट्रिक टन सूरजमुखी के विपरीत हरियाणा सरकार की तरफ से पूरी अनुमानित मात्रा 13,784 मीट्रिक टन सूरजमुखी की खरीद की जाएगी.
पंजीकृत किसान ही बेच पाएंगे सूरजमुखी
उन्होंने बताया कि पिछले साल हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों से 13,156 मीट्रिक टन सूरजमुखी की खरीद की थी, जबकि भारत सरकार ने 2,375 मीट्रिक टन की मंजूरी दी थी. वहीं सूरजमुखी की फसल के लिए अभी तक 6,109 किसानों ने 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर खुद को पंजीकृत किया है और व पंजीकृत किसान ही खरीद एजेंसी को अपनी उपज बेचने के हकदार होंगे. किसानों को उनकी फसल का भुगतान सीधे बैंक खातों में किया जाएगा.
बीकेयू ने दी विरोध की धमकी
उधर भारतीय किसान यूनियन ने सूरजमुखी की खरीद को लेकर सरकार को चेतवानी दी है. दरअसल पिछले दिनों हुई बारिश के चलते किसानों की काफी फसल भीग चुकी है. भीगी हुई फसल खरीदने में आनाकानी की जाती है. फसल की कटाई शुरू हो चुकी है इसलिए भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की सारी फसल खरीदे. किसान अगर प्राइवेट आढ़तियों को फसल बेचते हैं तो उन्हें पूरा पैसा नहीं मिलता आधे अधूरे दाम पर फसल बेचनी पड़ती है.