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अगर प्रेमी शादीशुदा है, ये जानने के बाद भी संबंध में रहे, तो फिर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का मामला नहीं बनता: हाई कोर्ट - शादी का झांसा देकर रेप मामला

एक महिला ने अपने शादीशुदा प्रेमी पर शादी का झांसा देकर रेप का आरोप लगाया. इस मामले में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है. जानें पूरा मामला.

punjab haryana high court
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Published : Feb 10, 2023, 9:17 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया है, जिसको लेकर चर्चा हो रही है. हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर प्रेमी शादीशुदा है, फिर भी उसके साथ महिला संबंध में रही, तो ऐसे में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म की दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता. दरअसल पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में शादी का झांसा देकर रेप के आरोप का मामला आया था. जिसमें दुष्कर्म के आरोपी को बरी करने के ट्रायल के फैसले को चुनौती दी गई थी.

पीड़ित की याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी की. याचिका में पीड़ित महिला ने बताया था कि आरोपी उसका पीछा करता था और उसे परेशान करता था. जब पुलिस को महिला ने इसकी शिकायत देने की बात कही तो आरोपी ने कहा कि वो आत्महत्या कर लेगा. महिला के मुताबिक आरोपी धीरे-धीरे उससे मिलने लगा और 1 दिन संबंध बनाने का दबाव बनाने लगा. महिला ने इससे इंकार किया कर दिया. याचिका में महिला ने बताया कि एक दिन आरोपी ने उसे नशीला पदार्थ खिला दिया और संबंध बनाने का प्रयास किया.

पीड़िता ने याचिका में कहा कि नशे की हालत में होने की वजह से वो विरोध नहीं कर सकी. इसके बाद बार बार वो महिला को बुलाने लगा. आरोपी ने वादा किया कि वो उससे ही विवाह करेगा. जिसके बाद महिला को पता चला कि आरोपी विवाहित है. ये जानने के बाद महिला ने आरोपी से दूरी बनाने की कोशिश कि तो आरोपी ने उसे धमकाना शुरू कर कर दिया. महिला के मुताबिक आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दी.

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जिसके बाद महिला ने 2018 में जींद में एफआईआर दर्ज करवा दी. इस मामले में ट्रायल चला और ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का आदेश जारी कर दिया. इसी फैसले को महिला ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में कहीं भी पीड़ित का विरोध दिखाई नहीं दिया. यहां तक की आरोपी का विवाह होने के बाद भी उसने संबंध बनाए रखे. कोर्ट ने कहा कि जब उसको को पता था कि आरोपी का विवाह हो चुका है. आरोपी का पीड़िता से विवाह नहीं हो सकता, तो भी संबंध बनाए रखना पीड़िता के खिलाफ जाता है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.

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