चंडीगढ़: देश मे कोरोना का संकट जारी है. कोरोना वॉरियर्स यानी डॉक्टर्स और नर्स सबसे पहली पंक्ति में खड़े होकर हमारी रक्षा कर रहे हैं. वो अपनी जान की परवाह किए बिना लगातार लोगों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में वो खुद भी संक्रमित होने लगे हैं, क्योंकि उन्हें लगातार कोरोना संक्रमितों के संपर्क में रहना पड़ता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए चंडीगढ़ पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज यानी पेक की साइबर सिक्योरिटी रिसर्च टीम ने एक खास रोबोट को तैयार किया है.
ये रोबोट कोरोना मरीजों तक खाना और दवाइयां पहुंचाने का काम करेगा. ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में साइबर सिक्योरिटी रिसर्च सेंटर की हेड दिव्या बंसल ने बताया कि वो लगातार करोना को लेकर कई तरह की मशीनों पर काम कर रहे हैं.
चंडीगढ़ पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज ने स्वयं सेविका नाम का स्वदेशी रोबोट बनाया है. क्लिक कर देखें वीडियो इस दौरान जीएमसीएच-32 अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर निशीत ने उनसे संपर्क किया और कहा कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए उन्हें ऐसे किसी जरिए की जरूरत है. जिससे डॉक्टर और नर्स को मरीजों के संपर्क में कम से कम आना पड़े. इसी बात का ध्यान में रखते हुए साइबर सिक्योरिटी रिसर्च टीम ने इस रोबोट को बनाने का फैसला किया.
क्या है रोबोट की खासियात?
ये रोबोट अपने आप चलता है. इसे सिर्फ एक बार निर्देशित करना पड़ता है कि इसे किस कमरे में किस बेड तक जाना है. उसके बाद ये अपने आप उस बेड तक मरीज के लिए खाना और दवाइयां पहुंचा देता है. इसके बाद रोबोट वापस अपने स्थान पर पहुंच जाता है. इतना ही नहीं रोबोट मरीज के पास जाकर हिंदी और इंग्लिश में उसे अपना खाना और दवाइयां लेने के लिए कहता है. रोबोट को इस तरह से प्रोग्राम किया गया है. जिससे ये एक बटन दबाने पर ही तय जगह पर पहुंच जाता है. इसे संचालित करने के लिए किसी रिमोट की जरूरत नहीं पड़ती.
रोबोट के बारे में छात्र अंश ने बताया कि उन्होंने इस रोबोट में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है. इसके अंदर एक लोड सेंसर लगाया गया है जो इस रोबोट पर रखे गए खाने और अन्य सामान के वजन को डिटेक्ट करता है. रोबोट को ये पता चल जाता है कि उसे सामान दे दिया गया है. इसके अलावा इस रोबोट में आधुनिक कैमरे लगाए गए हैं.
अगर रोबोट के सामने कोई आ जाता है तो ये अपने आप रुक जाता है. रोबोट फर्श पर लगाई काली पट्टी के सहारे चलता है. इसके अलावा इसमें कुछ बटन लगाए गए हैं जिनके सहारे इसके सेंसर काम करते हैं. उन बटन पर कमरों के नंबर लिखे गए हैं. जिस कमरे के नंबर को दबाया जाएगा ये अपने आप उस कमरे में पहुंच जाएगा और सामान देकर वापस अपनी जगह पर लौट आएगा. रोबोट 5 किलो तक का वजन एक बार में उठा सकता है.
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साइबर सिक्योरिटी रिसर्च सेंटर की असिस्टेंट प्रोफेसर मानवजीत कौर ने बताया कि फिलहाल इस तरह का एक ही रोबोट तैयार किया गया है. अगर सरकार या अन्य अस्पतालों से ऑर्डर आते हैं तो वो उनके लिए इस तरह के और रोबोट भी बना सकते हैं. इस रोबोट को बनाने में सिर्फ 8000 हजार रुपये की लागत आई है. अगर इसे बड़े स्तर पर इस रोबोट को बनाया जाए तो इसकी कीमत और कम हो जाएगी. रोबोट की खास बात ये है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी है. इसमें इस्तेमाल किए गए सभी उपकरण भारत में ही बने हैं. इस रोबोट की लागत काफी कम है.