चंडीगढ़: साल 2006 के चर्चित जम्मू कश्मीर सेक्स स्कैंडल मामले में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सजा के खिलाफ दोषियों की अपील पर अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ की विशेष अदालत के उस फैसले को बरकार रखने के आदेश दिए हैं, जिसमें चार दोषियों जम्मू कश्मीर पुलिस में डीएसपी रहे मोहम्मद अशरफ मीर, शब्बीर अहमद लावे, शब्बीर अहमद लंगू और मसूद अहमद उर्फ मकसूद को 10 साल की सजा सुनाई गई थी.
वहीं मामले में आरोपी बीएसएफ के पूर्व डीआईजी एके पाणी को संदेह का लाभ देते हुए हाई कोर्ट ने दोषमुक्त करने के आदेश दिए. जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने 140 पेजों के फैसले में कहा कि सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट में दुष्कर्म पीड़िता से बचाव पक्ष के वकील ने बेहद आपत्तिजनक सवाल किए.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक भी बचाव पक्ष दुष्कर्म पीड़िता से बार-बार उस घटना की विस्तृत जानकारी नहीं ले सकता. बावजूद इसके कोर्ट में आपत्तिजनक सवाल उठाए गए. जस्टिस सांगवान ने फैसले में कहा चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की सभी जिला अदालतें ये सुनिश्चित करें कि दुष्कर्म पीड़िता से इस तरह के आपत्तिजनक सवाल सुनवाई के दौरान न किए जाएं. बचाव पक्ष अगर इस तरह के सवाल कोर्ट में करता है तो जज मूकदर्शक बनकर ना रहे और मामले में दखल दे.
सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल में अपील पर फैसला करने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 22 अप्रैल 2019 को 1 साल में सजा के खिलाफ अपील पर हाईकोर्ट को फैसला लेने का आदेश दिया था. इसके लिए 31 मार्च 2020 तक का समय दिया गया था.