चंडीगढ़:पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया है. हाई कोर्ट का साफ कहना है कि करेवा (विधवा का बगैर विवाह जेठ या देवर की पत्नी बना देना) के बाद महिला विधवा के रूप में मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन की हकदार नहीं है. हाई कोर्ट ने ये आदेश कैथल की एक महिला की याचिका को खारिज करते दिया है.
याचिकाकर्ता महिला ने अपनी याचिका मे उसकी विधवा पेंशन दोबारा शुरू करने और सरकार के उस आदेश पर रोक की मांग कि थी जिसमें सरकार ने उसे विधवा पेंशन के नाम पर जारी पेंशन राशी रिकवरी के आदेश जारी किए थे. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उसके पति, जो पेशे से एक मजदूर थे. अप्रैल 2007 में उनकी मौत हो गई थी. महिला गरीबी के कारण पूरी तरह से ससुर और देवर पर निर्भर थी. उसके पति की मौत के बाद विधवा पेंशन योजना के तहत उसे पेंशन मिलनी शुरू हुई थी.
महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला पूरी तरह अपने देवर और ससुर पर निर्भर थी. 2011 में उसका उसके देवर के साथ करेवा कर दिया गया. जिसके बाद उसको एक पुत्री का जन्म भी हुआ. इस बीच गांव के कुछ लोग उके परिवार से निजी दुश्मनी रखते थे और उन्होने उसकी पेंशन लेने की शिकायत विभाग को कर दी. जिसके बाद सरकार ने उसकी पेंशन रोक कर पेंशन के रूप में अतीत में उसकी ओर से लिए गए लगभग 1.82 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया.