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दवा घोटाले पर HC की टिप्पणी, 'कोई मुख्य आरोपी को बचाने की कोशिश में', ये एजेंसी कर सकती है जांच - high court issue notice ed vigilance drug scam

हरियाणा के दवा घोटाले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कोई मुख्य आरोपी को बचाने की कोशिश कर रहा है.

दवा घोटाला हाई कोर्ट
दवा घोटाले पर HC की टिप्पणी

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Published : Apr 6, 2021, 3:48 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में हुए 300 करोड़ के दवा खरीद घोटाले पर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने विजिलेंस और ईडी को नोटिस जारी किया है. कोर्ट की ओर से विजिलेंस और ईडी से पूछा गया है कि क्यों ना इस मामले की जांच उन्हें सौंप दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए ये तक कह दिया कि कोई मुख्य आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहा है.

विजिलेंस और ईडी को HC का नोटिस

बता दें याचिकाकर्ता जगविंदर सिंह कुलहरिया ने वकील प्रदीप रापड़िया के जरिए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट का रुख किया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिका को जनहित याचिका के तौर पर सुनने का फैसला लिया था. याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य विभाग में दवाओं और उपकरणों की खरीद में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले की ईडी से जांच करवाने की मांग हाई कोर्ट में की है.

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याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया है कि हिसार की एक दवा कंपनी जिस एड्रेस पर दर्ज है वहां फार्म की जगह धोबी बैठा है. हिसार और फतेहाबाद के सामान्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण सप्लाई करने वाली फर्म का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में था. उसके बावजूद उसने जेल से ही टेंडर प्रक्रिया में ना हिस्सा लिया, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने उसके झूठे हस्ताक्षर भी किए.

'डिप्टी सीएम बनने के बाद घोटाला भूल गए दुष्यंत चौटाला'

याचिकाकर्ता के मुताबिक हरियाणा के सरकारी अस्पताल में हुए दवा खरीद घोटाले के मामले की एक आरटीआई के हवाले से 2018 में तत्कालीन सांसद दुष्यंत चौटाला ने इस घोटाले की सीबीआई जांच और कैग से ऑडिट कराने की मांग की थी. इस आरटीआई के अनुसार 3 वर्ष की अवधि में राज्य के सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपये की दवाएं और मेडिकल उपकरण खरीदे गए, जो कि बेहद ही महंगे दामों में खरीदे गए. याचिकाकर्ता के मुताबिक दुष्यंत चौटाला प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद इस मामले को भूल गए.

इन सामानों की खरीद में हुआ घोटाला

फतेहाबाद में 22 रुपये का ब्लीचिंग पाउडर 76 रुपये में खरीदा गया. फेस मास्क 4.90 रुपये में खरीदा ,जबकि उसकी कीमत 95 पैसे थी. 500 ग्राम कॉटन रोल जिसका टेंडर रेट 99 रुपये था, उसे 140 रुपये में खरीदा गया. वहीं हैंड सेनीटाइजर तो 185 के स्थान पर 325 रुपये में खरीदा गया. बीपी जांचने की जो मशीन जिसकी मार्केट में कीमत 780 है. 1650 रुपये में खरीदी गई. एचसीवी कार्ड 10 रुपये का है, लेकिन उसे 45 रुपये में खरीदा गया. वहीं जींद में 2.79 रुपये की प्रेगनेंसी जांच किट पहले 6 फिर 16 और बाद में 28 रुपये में खरीदी गई. जिलों के सिविल सर्जनों ने ना केवल दवाइयों और उपकरण महंगे दाम पर खरीदे, बल्कि ऐसी कंपनियों से दवाइयों की खरीद कर ली. जो कागजों में किराने और घी का कारोबार करती हैं

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