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किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर हाई कोर्ट सख्त, DGP को दिए ये आदेश

किसानों पर हुए लाठीचार्ज मामले में हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिए हैं कि डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई हिदायतों का सख्ती से पालन करें.

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Published : Sep 18, 2020, 4:53 PM IST

Published : Sep 18, 2020, 4:53 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 6:19 PM IST

punjab and haryana high court give order to DGP on pipli lathicharge case
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट

चंडीगढ़: कुरुक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के लिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सबका मंगल हो संस्था से जुड़ी ‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ की याचिका पर शुक्रवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को आदेश दिए कि पहले डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई हिदायतों का सख्ती से पालन करते हुए ये सुनिश्चित करते कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फुल यूनिफॉर्म और नेम प्लेट आदि हो. ड्यूटी पर नियुक्त सभी कर्मचारियों की विस्तृत जानकारी रजिस्टर में दर्ज हो और पुलिस कार्रवाई के दौरान घायल हुए प्रदर्शनकारी को तुरंत चिकित्सा सहायता मिले.

किसानों पर हुए लाठीचार्ज मामले में हाई कोर्ट सख्त, DGP को दिए ये आदेश

‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ के संयोजक दीपक लोहान ने एडवोकेट प्रदीप रापड़िया और प्रवीन कुमार के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि कृषि अध्यादेशों के विरोध में रैली निकाल रहे किसानों पर पुलिस के भेष में बिना वर्दी वाले व्यक्ति ने लाठीचार्ज करते हुए कई किसानों के सिर फोड़ दिए, और तो और जान बचाकर भागते हुए बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा गया.

इस बारे में याचिका के साथ फोटो लगते हुए कोर्ट को बताया गया कि बिना वर्दी के लाठीचार्ज करते हुए व्यक्ति की फोटो और वीडियो के वारयल होने से पुलिस की कार्रवाई की जमकर बदनामी हो रही है.

याचिका में कहा गया कि गृह मंत्री अनिल विज ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि पुलिस द्वारा कोई लाठीचार्ज किया ही नहीं गया. दूसरी तरफ हरियाणा के उप मुख्यमंत्री और कई लोकसभा सदस्‍यों ने लाठीचार्ज को गलत ठहराया और जांच की मांग की. ऐसे में मामले की गहन जांच जरूरी है.

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याचिका में पंजाब पुलिस नियम के बिंदु 4.4 की तरफ ध्यान दिलाते हुए कोर्ट को बताया गया कि इस नियम में साफ तौर पर कहा गया है कि अपनी शक्तियों के प्रयोग के दौरान कोई भी पुलिस कर्मचारी बिना वर्दी के नहीं होगा और बिना वर्दी वाले कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान हुए उस पर हमले के बारे में कोई कानूनी विभागीय संरक्षण/सुरक्षा नहीं मिलेगी.

किसान संगठन के वकील प्रदीप रापड़िया की बहस सुनाने के बाद कोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि याचिका में लगाए गए आरोपों के बारे में कोर्ट कोई टिपण्णी नहीं करना चाहती, लेकिन पहले से डीके बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस महकमे को दी गई हिदायतों की सख्ती से अनुपालना होनी चाहिए और याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए लीगल नोटिस पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए.

Last Updated : Sep 18, 2020, 6:19 PM IST

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