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चंडीगढ़ में UFBU ने किया बैंक कानून विधेयक 2021 का विरोध, 16 दिसंबर को देशभर में हड़ताल का ऐलान

केंद्र सरकार की ओर से संसद में बैंक कानून संशोधन 2021 विधेयक के पेश होते ही इसका देशभर में विरोध शुरू हो गया (Protest Against Banking Laws Bill 2021) है. इतना ही नहीं बैंक यूनियन की ओर से 16 दिसंबर को देशभर में बैंकों की हड़ताल का आह्वान भी किया गया है.

Protest Against Banking Laws Bill 2021
चंडीगढ़ में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है

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Published : Dec 4, 2021, 4:38 PM IST

Updated : Dec 4, 2021, 6:38 PM IST

चंडीगढ़: केंद्र सरकार की ओर से संसद में बैंक कानून संशोधन 2021 विधेयक पेश किया गया (Banking Laws Bill 2021)है. इस विधेयक के पेश होते ही देशभर में इसका विरोध शुरू हो गया(Protest Against Banking Laws Bill 2021) है. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से इस विधेयक और केंद्र सरकार का विरोध किया जा रहा है. इतना ही नहीं बैंक यूनियन की ओर से 16 और 17 दिसंबर को देशभर में बैंकों की हड़ताल का आह्वान भी किया गया (UFBU call strike Two Days)है.

इस बारे में हमने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum Of Bank Union) के कन्वेनर संजय शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार बैंक कानून संशोधन विधेयक लाकर देश की बैंकिंग व्यवस्था की कमर तोड़ना चाहती है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होते हैं. जिस तरह रीढ़ की हड्डी को अगर थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचाया जाए तो पूरा शरीर अक्षम हो जाता है. उसी तरह अगर सार्वजनिक बैंकों को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचाया गया तो देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से गड़बड़ा जाएगी लेकिन सरकार सार्वजनिक बैंकों को खत्म करने में लगी हुई है.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से विधेयक बैंक कानून संशोधन विधेयक 2021 का विरोध किया जा रहा है

शर्मा ने कहा कि सरकार का सिर्फ एक ही मकसद है कि उसे पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाना है. इसके लिए चाहे उन्हें किसी भी बैंक की बलि देनी पड़े. सरकार ने पूंजीपतियों को बड़े-बड़े लोग बांट दिए और लोन को माफ करते वक्त बैंकों के बारे में नहीं सोचा. सरकार की गलत नीतियों की वजह से बैंकों को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है. अब सरकार छोटे बैंकों का विलय करने में लगी है और बैंकों के निजीकरण को भी बढ़ावा दे रही है. अगर ऐसा होता है तो यह है देश के लिए बेहद खतरनाक होगा.

अगर सरकार सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण कर देगी तो निजी बैंक देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित होंगे. क्योंकि निजी कंपनियां सिर्फ अपने लाभ के बारे में सोचती हैं. उन्हें किसी दूसरे वर्ग के नुकसान से कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसे में गरीब तबके के लोगों को वित्तीय सेवाएं कैसे मिलेंगी. बैंक लोगों से मनमाना ब्याज वसूल लेंगे. मनमानी अकाउंट मेंटेनेंस फीस लेंगे और मनमाने नियम बनाएंगे. इससे देश का आम आदमी बैंकिंग व्यवस्था से दूर होता चला जाएगा. देश में कोई ऐसा बैंक नहीं बचेगा जिसका देश का गरीब और मध्यम परिवार का व्यक्ति इस्तेमाल कर सके. निजी करण की वजह से बेरोजगारी में बढ़ोतरी होगी. क्योंकि निजी करण से कम नौकरियां पैदा होंगी.

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उन्होंने कहा कि जब बैंकों का आदेश में राष्ट्रीयकरण किया गया था तब देशभर में सरकारी बैंकों की 150 शाखाएं थी लेकिन अब देश भर में करीब सवा लाख शाखाएं स्थापित हो चुकी है. जो हर गली मोहल्ले में लोगों को सेवाएं दे रही हैं. सरकार लोगों के लिए जो भी उज्जवल लेकर आती है उसे सार्वजनिक बैंकों द्वारा ही पूरा किया जाता है. जब सभी योजनाओं को सार्वजनिक बैंक पूरा कर रहे हैं और लोगों को सेवाएं दे रहे हैं तो ऐसे में निजीकरण की सरकार को क्या आवश्यकता पड़ी.

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अगर सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण किया जाएगा और उन्हें प्राइवेट कंपनियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा तो इससे सबसे बड़ा नुकसान देश की जनता का होगा. क्योंकि प्राइवेट बैंकों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना होगा ना कि लोगों की सेवा करना और भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाएगी.इसलिए हम बैंक कानून संशोधन विधेयक 2021 का विरोध कर रहे हैं और इसके विरोध में 16 और 17 दिसंबर को बैंकों में हड़ताल भी की जाएगी। अगर सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेगी तो हमारा प्रदर्शन और ज्यादा उग्र होगा।

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Last Updated : Dec 4, 2021, 6:38 PM IST

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