चंडीगढ़: नीति आयोग की वीके पाल समिति की सिफारिश के अनुसार राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति नहीं देने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है. जवाब में ये पूछा गया है कि कितनी निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति की गई है और कितनों की नहीं. हाईकोर्ट ने ये जवाब कुरुक्षेत्र जिले के राधाकिशन अस्पताल थानेसर द्वारा दायर याचिका पर मांगा है.
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राधाकिशन अस्पताल ने राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग पर नीति आयोग की वीके पाल समिति की सिफारिश के अनुसार कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता अस्पताल ने हरियाणा सरकार से आयोग की समिति की सिफारिशों के अनुसार उसके पास सामान्य अस्पताल से रेफर किए गए 226 कोविड-19 रोगियों का इलाज करने की एवज में वास्तविक लागत के भुगतान की मांग की है.
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याचीकाकर्ता अस्पताल ने हाईकोर्ट में सरकार पर आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार द्वारा निजी अस्पतालों को दी जा रही प्रतिपूर्ति मनमानी है. ऐसे अस्पतालों द्वारा की जाने वाली वास्तविक लागत का एक अंश मात्र है. याचिकाकर्ता अस्पताल ने कोर्ट को बताया कि उसने 226 रोगियों का इलाज किया था जिस पर 3,87,36156 रुपए की राशि खर्च की गई थी.
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याचिका में दावा किया गया कि 8 जून 2020 को बनी आयोग वीके पाल समिति की सिफारिशों के अनुसार इन रोगियों के उपचार के लिए प्रतिपूर्ति की जाने वाली राशि 3,52,46180 रुपए है, लेकिन राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता अस्पताल को केवल 95,59,440 रुपए की प्रतिपूर्ति की है. हाईकोर्ट ने कहा कि ये एक व्यापक विषय है. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को 22 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं.