गुरुग्राम में ब्रह्माकुमारी संस्थान के कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चंडीगढ़: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारी संस्थान के भौराकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में 'मूल्य-आधारित समाज की नींव के रूप में महिलाएं' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने माताओं से आह्नान किया कि वे अपने बेटे को डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक बनाने से पहले, एक अच्छा इंसान बनाएं. उन्होंने कहा कि हर मां को यह संकल्प लेना चाहिए. अच्छा इंसान बनना, आज के समय की जरूरत है. कितनी भी भौतिक सुख-सुविधाएं, पैसा कमा लें. लेकिन यदि जीवन में सुख-शांति, आनंद, प्रेम, सुख और पवित्रता नहीं है, तो सब व्यर्थ है.
इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि परमात्मा ने हमें दो रास्ते दिए हैं. एक रास्ता है काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, द्वेष, ईर्ष्या और नफरत का और दूसरा है सुख-शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता का. राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमें तय करना है कि हम किस रास्ते को चुनना चाहते हैं. सम्मेलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल वक्ता बीके शिवानी दीदी ने राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया.
पढ़ें:G20 Summit in gurugram: जी-20 सम्मेलन में दिखेगा समृद्ध भारत और हरियाणवी संस्कृति का अनूठा संगम
इस दौरान कुछ पल के लिए राष्ट्रपति भी अंतर्ध्यान हो गईं. मंच पर आने के पूर्व उन्होंने मेडिटेशन रूम में भी कुछ देर तक ध्यान किया था. राष्ट्रपति ने दीप प्रज्वलित कर अभियान का शुभारंभ किया. कार्यक्रम में चार हजार से अधिक महिलाओं सहित कई देशों के राजदूत और अपने-अपने क्षेत्रों की जानी-मानीं हस्तियां मौजूद रहीं. इससे पहले राष्ट्रपति ने मुख्यालय संयोजिका बीके डॉ. सविता दीदी और बीके शारदा दीदी को कलश सौंपा. इसके साथ ही शिव ध्वज फहराकर अभिवादन किया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया. ब्रह्माकुमारी संस्थान को बताया 'बाबा का घर':राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान कहा कि वे ब्रह्माकुमारी संस्थान को बहुत करीब से जानती हैं. वे इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय को अपना घर, बाबा का घर समझती हैं. उन्होंने राजस्थान के माउंट आबू का जिक्र करते हुए कहा कि साल की शुरुआत में ही उन्हें वहां जाने का मौका मिला था. वहां मुझे असीम ऊर्जा और शांति की अनुभूति हुई. हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों और महाकाव्य में महिलाओं की स्तुति शक्ति, करुणा और ज्ञान के स्रोत के रूप में की गई है.
उन्होंने कहा,'हमें संस्कृति ने माता पार्वती, मां दुर्गा, माता सरस्वती, मां काली, मां लक्ष्मी का जीवन नैतिकता के संरक्षण के रूप में दिखाया है. इसी तरह मीराबाई, माधवी दासी जैसी नारियों को आध्यात्मिक शक्ति के रूप में पहचाना और सम्मानित किया जाता है. ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जहां नारी ने अपनी बुद्धि, शक्ति और क्षमता से समाज में सम्मान प्राप्त किया है.
पढ़ें:लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में होगा यह 'सियासी टेस्ट'
महिला कैसे अपनी शक्ति से पुरुष के जीवन में प्रभाव छोड़ सकती है, इसका उदाहरण राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की प्रेरणास्रोत उनकी पत्नी कस्तूरबा थीं. इसका उल्लेख उन्होंने कई बार किया है. उन्होंने अहिंसा का पाठ अपनी पत्नी से सीखा था. आध्यात्मिक जीवन से दिव्य शांति और आनंद के द्वार खुलते हैं. इस शांति और आनंद की खोज माताएं अपने परिवार में शुरू करें.
ब्रह्माकुमारी ने मूल्यों को नारी शक्ति के केंद्र में रखा:राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था ने मूल्यों को नारी शक्ति के केंद्र में रखा है. आज यह संस्थान नारी शक्ति द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है. ब्रह्मा बाबा ने आज से 90 वर्ष पूर्व ही नारी की शक्ति और सामर्थ्य के लिए उचित स्थान दिया था. संस्थान की 40 हजार से अधिक बहनें दुनिया के 140 देशों में भारत की सनातन संस्कृति आध्यात्म को आगे बढ़ा रही हैं.
महिलाओं को जब भी अवसर मिला है, तो उन्होंने सिद्ध किया है कि वह पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं. गांधीवादी इलाबेन भट्ट ने अपने सेवा संस्थान और जसबंती बने ने लिज्जत पापड़ नामक उद्यम की सहायता से अनेक महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने में मदद की है. कात्यामनी अम्मा ने 90 वर्ष की आयु में साक्षरता प्राप्त कर महिलाओं के धैर्य और संकल्प की एक नई परिभाषा पेश की है.
धर्मग्रंथों में भी है नारी की महिमा:इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता को दुनियाभर में फैलाने में ब्रह्माकुमारी संस्थान का बड़ा योगदान है. समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना में महिलाओं की अहम भूमिका है. नारियों की प्रशंसा हमारे धर्मग्रंथों में भी की गई है. उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रपति भी आदर्शों की प्रतिमूर्ति हैं.
पढ़ें:अपराध के खिलाफ सख्त हरियाणा सरकार, सीएम ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था, अपराध की स्थिति की समीक्षा की
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आपका जीवन तपस्यामय है. आज महिलाओं को शिक्षित और स्वाबलंबी होने की आवश्यकता है. आज बेटियां सेना से लेकर हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं. हम कितना भी पैसा कमा लें, यदि मन शांत नहीं है तो ऐसा व्यक्ति सदाचारी नहीं बन सकता है. ब्रह्माकुमारी समाज ऐसी नारियों को तैयार करके विश्व में शांति फैलाने में लगा हुआ है.
बीके शिवानी दीदी ने कराया मेडिटेशन:प्रेरक वक्ता बीके शिवानी दीदी ने मेडिटेशन का अभ्यास कराते हुए कहा कि इसका रोज अभ्यास करें कि 'मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा की संतान एक शक्तिशाली आत्मा हूं. मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूं. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं. मैं स्वर्णिम भारत और स्वर्णिम दुनिया का निर्माण करने वाली, मैं आत्मा शिव की शक्ति हूं, मैं शिव की शक्ति हूं.'
इस दौरान न्यूयार्क से पधारीं संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका और ब्रह्माकुमारी का यूएनओ में प्रतिनिधित्व करने वालीं बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि 1982 में यूनाइटेड नेशन में संस्थान को शांति के लिए कार्य करने पर आमंत्रित किया गया था. शांति और युद्ध दोनों तरह के विचार मन में ही आते हैं. हमारी मनोवस्था ही तय करती है कि हम कैसा निर्णय लेते हैं.