चंडीगढ़:मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी एक बार फिर हरियाणा में सरकार बनाने जा रही है. मनोहर लाल खट्टर आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. वहीं डिप्टी सीएम के लिए दुष्यंत चौटाला पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे. इनके साथ ही बीजेपी मंत्रिमंडल के भी कई चेहरे शामिल हो सकते हैं. पिछली सरकार के मंत्रियों में से सिर्फ अनिल विज और बनवारी लाल ही मंत्री के तौर पर सरकार की लाज बचाने में कामयाब हुए हैं.
मनोहर सरकार में कैबिनेट के संभावित चेहरे-
अनिल विज
बीजेपी के जीतने वाले विधायकों में विज सबसे ज्यादा वरिष्ठ हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि वरिष्ठता के क्रम में इस बार मुख्यमंत्री के बाद अनिल विज को रखना सरकार की मजबूरी होगी. बड़े-बड़े मामलों में अनिल विज प्रदेश सरकार के लिए संकटमोचक साबित हुए हैं. जब कभी किन्हीं मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करता है तब अनिल विज को ही आगे किया जाता है. अंबाला कैंट सीट से वो 7 बार चुनाव लड़े और 6 बार जीते हैं. ऐसे में कैबिनेट में उनकी सीट तय मानी जा रही है. पिछली कैबिनेट में भी वो स्वास्थ्य, खेल और युवा मंत्रालयों के मंत्री थे.
घनश्याम सर्राफ
अनिल विज के बाद घनश्याम सर्राफ का नंबर आता है. हालांकि, पिछली सरकार में घनश्याम सर्राफ को बीजेपी ने नकार दिया था. पहले मंत्री बनाने के बाद बाद में उनसे मंत्री पद छीन लिया गया था. उनके साथ एक अन्य मंत्री को भी मंत्री पद से हटाया गया था, लेकिन घनश्याम सर्राफ वो दूसरे मंत्री हैं जो अनिल विज की ही तरह जीत कर आए हैं. ऐसे में उनकी सीट भी तय मानी जा रही है. क्योंकि इन दोनों मंत्रियों के अलावा अन्य तमाम मंत्री अपने-अपने इलाकों से चुनाव हार गए हैं.
घनश्याम सर्राफ (फाइल फोटो) संदीप सिंह
हरियाणा विधानसभा चुनाव में चुनकर आए विधायकों में हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की भी लॉटरी लग सकती है. संदीप सिंह चर्चित युवा चेहरा हैं. साथ ही बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त के चुनाव में हारने के बाद वो अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं जो राजनीति में अपनी पहली ही लड़ाई में अपना वर्चस्व दिखाने में साबित हुए हैं.
अभय सिंह यादव
नांगल चौधरी से लगातार दूसरी बार विधायक बने पूर्व आईएएस अभय सिंह यादव को भी मंत्री पद हासिल हो सकता है. अभय यादव को प्रशासनिक अनुभव है और साथ ही वे दूसरी बार चुनकर आए हैं.
अभय सिंह यादव ( फाइल फोटो) सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा की भी खुल सकती है किस्मत
थानेसर विधायक सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा में से एक मंत्री बनने की लाइन में हैं. सुधा मनोहर लाल के करीबी हैं और साथ ही उन्होंने दिग्गज कांग्रेस नेता और इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा को हराया है. इनके अलावा हरियाणा में इस बार निर्दलीय विधायकों को भी सरकार को साधना पड़ेगा. लिहाजा एक या दो निर्दलीयों को भी मंत्री पद देना पड़ेगा.
सीमा त्रिखा और सुभाष सुधा (फाइल फोटो) कंवरपाल गुर्जर
2014 की विधानसभा में अध्यक्ष पद पर रहे कंवरपाल गुर्जर की भी मंत्री बनने की तीव्र इच्छा है. पिछली सरकार में भी वे मंत्री पद की लालसा रखे हुए थे, लेकिन उन्हें स्पीकर पद की जिम्मेदारी दे दी गई. इस बार वो फिर जीतकर आए हैं. लिहाजा सरकार को उन्हें मंत्री बनाकर यमुनानगर का भी प्रतिनिधित्व करना होगा, क्योंकि यमुनानगर हरियाणा के उन जिलों में से हैं जहां का प्रतिनिधित्व कम होता है.
कंवरपाल गुर्जर (फाइल फोटो) जाट चेहरों में से एक होगा मंत्री !
हरियाणा में सुभाष बराला, कैप्टन अभिमन्यु और ओम प्रकाश धनखड़ जैसे बड़े जाट नेता और पिछली कैबिनेट में मंत्री रहे ये तमाम लोग चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में महिपाल ढांडा, कमलेश ढांडा, जेपी दलाल और प्रवीण डागर जैसे जाट चेहरे चुनाव जीते हैं. इनमें से एक चेहरे को मंत्री बनाना मजबूरी होगी क्योंकि ये पार्टी के टिकट पर जीत कर आए जाट चेहरे हैं. पार्टी ने 20 जाटों को टिकट दिए थे. जिसमें से 4 जीत कर आए हैं.
कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला, ओपी धनखड़ (फाइल फोटो) निर्दलीय विधायकों में से हुड्डा के गढ़ महम से जीतकर आए बलराज कुंडू का नाम सबसे ऊपर है. इसके अलावा पुंडरी से जीते रणधीर गोलन और रानियां से जीते रणजीत सिंह के नाम की भी चर्चा है. जिसमें से कम से कम 2 मंत्री बन सकते हैं. बाकी निर्दलीयों को भी सरकार चेयरमैनी का पद देकर शांत कर सकती है.
पिछड़े वर्ग से सरकार में इंद्री से रामकुमार कश्यप का नाम आगे चल रहा है. इनेलो से राज्यसभा सांसद रह चुके कश्यप को मनोहर लाल खट्टर ने ही बीजेपी में शामिल किया था. अब उन्हें मंत्री पद से नवाजा जा सकता है, क्योंकि वे पिछड़े वर्ग से आते हैं. कर्ण देव कांबोज पिछली सरकार में मंत्री थे, वे भी इंद्री से थे लेकिन इस बार चुनाव हार गए थे, लिहाजा कश्यप को इंद्री का प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है.