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गोपाल कांडा के बरी होने से बदली हरियाणा की सियासत, बीजेपी के लिए बन सकते हैं तुरुप का इक्का, जानिए क्यों - सिरसा विधायक गोपाल कांडा

विधानसभा चुनाव 2024 से पहले हरियाणा की सियासत में नया ट्विस्ट आ गया है. हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष और सिरसा विधायक गोपाल कांडा (Sirsa MLA Gopal Kanda) के गीतिका शर्मा सुसाइड केस में बरी होने के बाद हरियाणा की सियासत बदलने वाली है. कोर्ट से बरी होने के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनो से करीबी रखने वाले गोपाल की कांडा की हैसियत और अहमियत बदल गई है. एक बार फिर वो 2009 का सियासी इतिहास दोहराने की स्थिति में आ गये हैं.

Gopal Kanda acquitted in Geetika Sharma case
Gopal Kanda acquitted in Geetika Sharma case

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Published : Jul 25, 2023, 10:14 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 10:54 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासत में अपनी अलग पहचान रखने वाले पूर्व गृह राज्य मंत्री और वर्तमान में सिरसा से विधायक गोपाल कांडा को मंगलवार को सबसे बड़ी राहत मिली है. गोपाल कांडा को गीतिका शर्मा सुसाइड मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बरी कर दिया है. कांडा के बरी होने से उन्हें राजनीतिक जीवनदान भी मिल गया है. गीतिका शर्मा सुसाइड में नाम आने के बाद कांडा को ना केवल गृह राज्य मंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी बल्कि हर पार्टी से दरकिनार कर दिये गये.

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सिरसा के विधायक गोपाल कांडा वर्तमान में हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष हैं और अपनी पार्टी के इकलौते विधायक भी. 2019 के लोकसभा चुनाव में कड़े मुकाबले में वो सिरसा सीट से जीतने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे गोपाल कांडा ने 2019 में विधायक बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी को समर्थन का ऐलान किया था. हेलिकॉप्टर से वो निर्दलीय विधायकों के साथ दिल्ली भी पहुंचे थे. चर्चा थी कि बीजेपी सरकार में वो मंत्री बन सकते हैं लेकिन मीडिया में खबर आने के बाद बीजेपी को इससे इनकार करना पड़ा. इनकार की सबसे बड़ी वजह थी गीतिका शर्मा केस में कांडा का आोरोपी होना.

हरियाणा बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब से मुलाकात करते गोपाल कांडा.

गीतिका शर्मा सुसाइड मामले में बरी होने के बाद अब गोपाल कांडा खुलकर बीजेपी के समर्थन में आ सकते हैं. इससे पहले बीजेपी गोपाल कांडा को खुलकर गले लगाने से हिचकिचा रही थी, क्योंकि जैसे ही बीजेपी और गोपाल कांडा की नजदीकियां बढ़ती थी, गीतिका शर्मा केस उस में सबसे बड़ा रोड़ा बन जाता था. हरियाणा में अब राजनीतिक तौर पर उनकी स्वीकार्यता बढ़ गई है. अगले साल हरियाणा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव होना है. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में उनकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जायेगी. इसी माहौल में 2009 में उन्होंने निर्दलीय विधायक जुटाकर 40 सीट पाने वाली कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री बन गये थे.

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भूपेंद्र हुड्डा के भी करीबी रहे हैं गोपाल कांडा.

अब आरोपों से बारी होने के बाद गोपाल कांडा के लिए हरियाणा में सियासी परिस्थितियां बदल जाएंगी. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि अब अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद राजनीतिक पार्टियां उन्हें अपनाने में गुरेज नहीं करेंगी. चर्चा ये भी है कि अगले चुनाव से पहले गोपाल कांडा अपनी हरियाणा लोकहित पार्टी का बीजेपी में विलय कर सकते हैं या फिर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. हलांकि दूसरी तरफ कुछ राजनीतिक विश्लेषक इससे इनकार भी कर रहे हैं. उनका मानना है कि गोपाल कांडा अकेले रहना बेहतर समझेंगे क्योंकि उनके कांग्रेस और बीजेपी दोनों में अच्छे रिश्ते हैं. अभी भी वो अपनी पार्टी से ही विधायक हैं.

हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष ओपी धनखड़ के साथ गोपाल कांडा.

2009 में भी वो निर्दलीय चुनाव जीतकर मंत्री बने थे. इसलिए अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करना मुश्किल है. गोपाल कांडा को मिली क्लीन चिट पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर कहते हैं कि कोर्ट ने दोनों तरफ के तथ्यों को देखकर अपना फैसला सुनाया है. बहस के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें दी थी. इसी मामले पर हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा कहते हैं कि न्यायपालिका के फैसले का हम स्वागत करते हैं. न्यायपालिका से बड़ा कोई नहीं है. न्यायपालिका का फैसला सर्वोपरि है.

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गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा बीजेपी में हैं.

गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा बीजेपी के नेता हैं. 2021 में बीजेपी में शामिल गोबिंद कांडा को बीजेपी ने ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय चौटाला के खिलाफ उम्मीदवार बनाया था लेकिन गोबिंद कांडा चुनाव जीत नहीं सके. 2019 में के चुनाव में भी रानिया सीट से लड़े गोबिंद कांडा हार गये थे. यानी वर्तमान राजनीतिक हालातों में देखें तो गोपाल कांडा की बीजेपी से खासी नजदीकी है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गोपाल कांडा सियासी हवा का रुख पहचानने में काफी तेज हैं. कांग्रेस के समय वो भूपेंद्र हुड्डा के करीबी थी और सरकार बदलते ही वो बीजेपी के नजदीकी हो गये. बीजेपी अभी तक सिरसा में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई है. जबकि सिरसा गोपाल कांडा का गढ़ है.

इसी मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि न्यायपलिका के फैसले पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. न्यायालय ने साक्ष्यों को देखते हुए ही अपना फैसला सुनाया होगा. लेकिन उन्होंने कहा कि गीतिका के सुसाइड के बाद उनकी मां ने भी सुसाइड कर लिया था, जो कि अपने आप में दुखद घटना थी.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोर्ट के फैसले के बाद गोपाल कांडा को बहुत बड़ी राहत मिली है. इस फैसले से आने वाले दिनों में उनकी सियासत पर भी असर पड़ेगा. जब तक उन पर केस चलता रहा, तब तक वे हरियाणा में उस तरह से अपनी सियासत नहीं कर पाए, जिस तरह से करना चाहते थे. उनकी बीजेपी से नजदीकियां हैं, यह बात सभी जानते हैं, और उनके भाई तो बीजेपी के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. ऐसे में हो सकता है कि आने वाले दिनों में वह बीजेपी के और करीब जाएं और भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक कदम भी उठाएं. गुरमीत सिंह, राजनीतिक मामलों के जानकार

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Last Updated : Jul 25, 2023, 10:54 PM IST

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