चंडीगढ:कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉक डाउन ने पूरे प्रेदश की तस्वीर बदल दी. एक तरफ जहां लोगों घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए वहीं दूसरी तरफ प्रकृति पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा. इस लॉक डाउन में ऐसी घटनाएं घटी जो कभी सिर्फ कल्पना ही हो सकती थी, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था ने घुटने टेक दिए.
हरियाणा के सभी जिलों पर लॉकडाउन के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव पड़े हैं. लॉकडाउन से जलवायु परिवर्तन और मानवीय जीवन शैली में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण कम होने के कारण ओजोन की सतह को रिपेयर करने में मदद मिली है और उसके बहुत बड़े छिद्र को भरने में सहायता मिली है. पर्यावरण के साथ-साथ मानवीय जीवन शैली में भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है.
गुरुग्राम में बदली आबो-हवा
गुरुग्राम देश की राजधानी के सटा हुआ जिला है. दिल्ली निजामुद्दीन मरकज से संक्रमण और फिर आजादपुर मंडी से फैले संक्रमण के बाद गुरुग्राम के बॉर्डर पूरी तरह से सील कर दिए गए. गुरुग्राम में बॉर्डर क्रॉस करने वालों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई, लेकिन जो शहर सुबह से लेकर रात तक गाड़ियों की अटा रहता था आज वो लॉकडाउन में पूरी तरह से शांत है. गुरुग्राम में प्रदूषण पिछले 50 सालों से कम है.
धर्मनगरी में नहीं अब श्रद्धालु
कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में देश की आर्थिक व्यवस्था को बिगाड़ दिया है. वहीं, हरियाणा प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ स्थान कुरुक्षेत्र के मंदिरों में रहने वाले पुजारियों की आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह बिगड़ चुकी है. बिना दान के मंदिरों के पुजारियों के परिवारों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है. कुरुक्षेत्र जिले में लगभग 721 मठ और मंदिर हैं. इसके अलावा ब्रह्मसरोवर, सनहित सरोवर ओर पिहोवा के सरस्वती घाट पर कर्मकांड करने वाले सैकड़ों पुजारियों की आय कुरुक्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं से ही होती है. कुछ मंदिर ट्रस्ट या बड़े मठों द्वारा चलाए जा रहे हैं और इनमें रहने वाले पुजारियों की तनख्वाह भी निर्धारित है और छोटे मंदिरों के पुजारियों की आमदनी का सिर्फ एक मात्र साधन श्रद्धालुओं द्वारा दिया गया दान है.
सिरसा में अब सड़कों पर नहीं निकल रहे लोग
राजा सरस की नगरी सिरसा में भी लॉक डाउन के बाद हालात बदले हैं. घरों के बाहर लोगों का आना जाना बंद है. घर से बाहर बस उन्ही लोगों को भेजा जा रहा है जिनको पास मिला है.
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