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हरियाणा में पेट्रोल-डीजल होगा महंगा, कैबिनेट बैठक में हुआ फैसला

गुरुवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई. बैठक में पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ाने के साथ कई अहम फैसले लिए गए हैं. सरकार ने मंडियों में फलों एवं सब्जियों की बिक्री पर एक प्रतिशत मार्केट फीस भी बढ़ा दी है.

Petrol diesel will be expensive in Haryana
Petrol diesel will be expensive in Haryana

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Published : Apr 30, 2020, 11:58 PM IST

चंडीगढ़: गुरुवार को हरियाणा कैबिनेट की अहम बैठक हुई. बैठक में पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ाने के साथ कई अहम फैसले लिए गए हैं. सरकार के इस फैसले के बाद पेट्रोल और डीजल महंगा हो गया है.

बता दें कि प्रदेश सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर वैट की दरों को बढ़ाया दिया है. पेट्रोल पर 1 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.1 रुपये प्रति लीटर वैट लगाया गया है. वहीं इस फैसले के बाद हरियाणा में रोडवेज बसों का सफर महंगा हो जाएगा. सरकार ने रोडवेज का किराया बढ़ाने का फैसला किया है. 15 पैसे किराए में प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की गई है,

हरियाणा सरकार ने मंडियों में फलों एवं सब्जियों की बिक्री पर एक प्रतिशत मार्केट फीस और एक प्रतिशत एचआरडीएफ लगाने का निर्णय लिया है. ये सभी निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.

कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियों में आई कमी के चलते आर्थिक संकट के समय हरियाणा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों (एमएसएमई) को सहायता प्रदान करने के लिए, राज्य सरकार ने ‘हरियाणा एमएसएमई बहाली ब्याज लाभ योजना’ तैयार की है, ताकि वे स्थायी, अनुबंध पर लगे कर्मचारियों और श्रमिकों सहित अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर सकें.

ब्याज लाभ इकाई द्वारा बैंक या वित्तीय संस्थान को छ: महीने की अवधि के लिए भुगतान किए गए ब्याज तक सीमित होगा. ब्याज लाभ की गणना बैंक पर अधिकतम 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर या वास्तविक ब्याज दर, जो भी कम हो, पर की जाएगी.

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इस योजना का लाभ उठाने के लिए, औद्योगिक इकाई मेें 1 फरवरी, 2020 और 15 मार्च, 2020 की अवधि के बीच कम से कम 80 प्रतिशत दिनों के लिए व्यावसायिक उत्पादन हो रहा हो. व्यावसायिक उत्पादन में आने के बाद इकाई ने आईईएम / ईएम / यूएएम दाखिल किया हो और लॉकडाउन अवधि के दौरान पुन: संचालन अनुमति लेने की तिथि से एक महीने के भीतर या 30 जून, जो भी बाद में हो, तक बैंक/वित्तीय संस्थान से सावधि ऋण/ वर्किंग कैपिटल लोन लिया हो.

यदि एमएसएमई इकाइयों को केन्द्र सरकार द्वारा इसी तरह का प्रोत्साहन दिया जाता है, तो इस योजना के तहत एमएसएमई इकाइयों को सावधि ऋण / वर्किंग कैपिटल लोन पर कुल ब्याज लाभ को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की सीमा तक लाने के लिए केवल वृद्धिशील लाभ प्रदान किया जाएगा.

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