चंडीगढ़: देश में लॉकडाउन ने बहुत कुछ बदल दिया है. इसके कुछ बुरे प्रभाव भी हुए हैं तो कुछ अच्छे पहलू भी मिले हैं. जैसे पहले लोग मनोरंजन के लिए सिनेमा और थियेटर का सहारा लेते थे. अब लॉकडाउन की वजह से घर में बंद लोग मनोरंजन का अलग-अलग साधन ढूंढ़ रहे हैं.
लॉकडाउन की वजह से घरों में बंद लोग बोरियत को दूर करने के लिए अब मनोरंजन के अलग-अलग साधन ढूंढ़ रहे हैं. चंडीगढ़ के मनीमाजरा में कबूतर पालने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. घर में रहकर अपनी बोरियत को दूर करने के लिए लोग कबूतर पाल रहे हैं.
लॉकडाउन की वजह से घरों में बंद लोग बोरियत को दूर करने के लिए अब कबूतर पाल रहे हैं. क्लिक कर देखें स्पेशल रिपोर्ट मसक्कली, मैक्कपाई, तितरा, पगैट, सिराजी, पटेट, नीले लट्टे, सफेद लट्ठे, मकोया, जरचा समेत कई तरह की नसलें युवाओं और लोगों को लुभा रही हैं. इस दौरान इनकी खरीद फरोख्त भी बड़े स्तर पर होने लगी है. कुछ लोग शौकिया तौर पर भी इनकी देखभाल कर रहे हैं.
मनोरंजन का जरिया बना कबूतरबाजी!
कुछ लोग कई सालों से कबूतरों को पाल रहे हैं. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि लॉकडाउन की वजह से कबूतर की दीवानगी लोगों में बढ़ी है. चंडीगढ़ में ऐसे बहुत से इलाके हैं जहां बड़ी तादात में कबूतरों को पालने वाले लोग हैं. मनीमाजरा में कबूतर पालने वालों की कमी नहीं है. अब लॉकडाउन की वजह से कबूतर पालने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
कबूतरों को सुबह और शाम खाने के लिए गेहूं या बाजरा का दाना दिया जाता है. जिसके बाद इनको उड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. कई लोग इसका बिजनेस बाना लेते हैं और कई शौकियां तौर पर इन्हें पालते हैं. समीर नाम के युवक ने बताया कि उसे बचपन से कबूतर पालने का शौक था. मगर परिजनों की इजाजत नहीं थी. अब लॉकडाउन के चलते बाहर जाने की अनुमति नहीं है. इसलिए समीर ने 2 महीने पहले उन्होंने 15 कबूतर ले लिए हैं.
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लॉकडाउन की वजह से अब समय रिवर्स होता दिखाई दे रहा है. पहले की तरह अब लोग घरों में बैठकर रामायण और महाभारत देखकर परिजनों के साथ वक्त बिता रहे हैं. कुछ लोग अब सिनेमा और थियेटर छोड़कर कबूतरों के साथ समय बिता रहे हैं.