चंडीगढः हरियाणा में धान की सरकारी खरीद के तहत घोटाले की शिकायत पर राइस मिलर्स के धान के स्टॉक के तीसरे भौतिक सत्यापन में कमी पाए जाने पर कार्रवाई शुरू किए जाने पर कैथल की फर्म आरजी एंटरप्राजेज राइस मिल के मालिक और उसके गारंटर दोनों ही गायब है. इतना ही नहीं इस मिलर द्वारा सरकार के साथ धान की शेलिंग के लिए किए गए अनुबन्ध की प्रति भी गायब है. इस हालत में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने जिला पुलिस अधीक्षक को मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए है.
क्या है धान घोटाला ?
पीके दास ने बताया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदी गई धान शेलिंग के लिए राइस मिलर को दी जाती है. शेलिंग के लिए अलग-अलग मिलर और सरकार के बीच अनुबन्ध किया जाता है. धान की सरकारी खरीद के बाद मिलर को अनुबन्ध के अनुसार शेलिंग के लिए धान का कोटा दिया जाता है. इस साल शिकायत यह आई थी कि धान की जितनी खरीद दिखाई गई है, उतनी वास्तव में नहीं की गई और मिलर के पास आवंटित कोटा पहुंचा ही नहीं है. बकाया मात्रा को मिलर सस्ते चावल से पूरा करेंगे.
सरकार ने की कार्रवाई
इस शिकायत पर मिलों में धान का भौतिक सत्यापन कराया गया. तीसरे सत्यापन मे करीब 90 करोड़ रूपए का धान अलग-अलग मिलों में कम पाया गया. जिन मिलों में धान कम पाया गया, उनको नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. इनमें 22 मिलों की ओर से जवाब नहीं भेजा गया तो उनसे धान की मूल कीमत और ब्याज की वसूली शुरू की गई. राशि जमा कराने के लिए अंतिम तिथि पांच फरवरी तय की गई थी.