चंडीगढ़:जेबीटी भर्ती घोटाले (JBT Recruitment scam) में 10 साल जेल की सजा काटने के बाद 2 जुलाई, 2021 को ओपी चौटाला तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं. ओपी चौटाला के गुरुग्राम आवास पहुंचने पर उनका स्वागत करने के लिए समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा था. जो नजारा शुक्रवार को ओपी चौटाला की रिहाई पर देखने को मिला वो उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है.
उनको हरियाणा में किसानों का मसीहा से लेकर आम जनता का मुख्यमंत्री तक कहा जाता है. आज हम आपको ओपी चौटाला की निजी जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हैं. ओपी चौटाला देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के मंझले बेटे हैं, उनके पिता की एक वक्त हरियाणा में तूती बोलती थी, लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि ओम प्रकाश चौटाला पढ़े लिखे नहीं थे.
जेल में रह कर की पढ़ाई पूरी
जी हां, ओपी चौटाला ने अपनी स्कूली पढ़ाई तिहाड़ जेल में ही पूरी की थी. जब जेल में उन्हें वक्त मिला और करने को कुछ नहीं था तो उन्होंने पढ़ाई करने का फैसला किया. 2017 में एक खबर जेल से बाहर आई कि ओपी चौटाला ने 12वीं की परीक्षा जेल से ही पास की है, लेकिन बाद में पता चला कि 12वीं नहीं उन्होंने 10वीं की परीक्षाएं जेल में रहकर दी थीं जिसमें उन्हें 53.40 प्रतिशत अंक मिले और वो सेकेंड डिवीजन के साथ पास हो गए.
चौधरी देवी लाल के साथ ओपी चौटाला, पीछे हैं अभय चौटाला (फाइल फोटो) 1989 में पहली बार बने थे हरियाणा के मुख्यमंत्री
1 जनवरी 1935 को जन्में ओपी चौटाला के घर में शुरू से ही राजनीतिक माहौल रहा था. उनके पिता चौधरी देवी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे थे. इसलिए ओपी चौटाला शुरू से ही राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े रहे. दिसंबर 1989 में वो पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे. ओपी चौटाला चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.
इनमें तीन कार्यकाल तो बेहद कम वक्त के लिए थे, लेकिन सबसे लंबे वक्त तक उनका आखिरी कार्यकाल रहा जब वो 1999 से लेकर 2005 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे. उनके आखिरी कार्यकाल में जेबीटी भर्ती घोटाला हुआ था जिसके लिए उनको और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला को 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी.
बड़ा रहा है ओपी चौटाला का राजनीतिक करियर क्या था मामला?
हरियाणा में इनेलो की सरकार बनने के बाद साल 1999-2000 में जेबीटी टीचर की भर्ती निकाली गई. चौटाला सरकार ने भर्ती का अधिकार एसएससी से लेकर अपने पास रख लिया और इसके लिए जिला स्तर पर समितियां गठित कर दीं. 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) टीचर्स की नियुक्ति में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया.
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नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई. इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए. जेबीटी भर्ती घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया था.
2013 से जेल में काट रहे थे सजा
मामले के मुताबिक परीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों की जो सूची बनी उनमें संजीव कुमार के उम्मीदवार भी थे. जब नतीजे घोषित करने की बारी आई तो अजय चौटाला व शेर सिंह बडशामी ने कुमार को धमकाते हुए उनके उम्मीदवारों के नाम सूची से काटकर नई सूची बनवाई और नतीजे घोषित करने को कहा. यहीं से घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया. इस मामले में अजय चौटाला और उनके पिता ओम प्रकाश चौटाला को वर्ष 2013 में 10 साल की सजा सुनाई गई थी.
अदालत से बाहर निकलते ओपी चौटाला (फाइल फोटो) सजा में मिली है माफी
दिल्ली की अदालत ने दोनों को 10 साल तिहाड़ जेल में रखने के आदेश दिए थे. जेल में रहने के दौरान ओम प्रकाश चौटाला ने अभी तक 9 साल 9 महीने की सजा पूरी की है. वहीं दिल्ली सरकार, हाई पावर कमेटी और तिहाड़ प्रशासन की हाल ही में बैठक हुई थी.
इस बैठक में ये तय हुआ था कि जिन कैदियों को 10 साल तक की सजा हुई है और उनकी सजा के छह माह बचे हुए हैं ऐसे कैदियों को सजा में माफी दी जाएगी. इसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का नाम शामिल था, जिसके बाद अब उनकी बाकी बची सजा को माफ कर दिया है.
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