चंडीगढ़: साल 2004 में बंद होने वाली ओल्ड पेंशन स्कीम से इन दिनों हरियाणा की सियासत का माहौल गरमाया हुआ है. नेता ही नहीं बल्कि कर्मचारी भी अब इसको बहाल करने के लिए लामबंद हो गए हैं. वे लगातार इसको लेकर अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं. आने वाले दिनों में इसको लेकर कर्मचारियों का प्रदर्शन और तेज हो सकता है. वहीं विपक्षी दल लगातार हरियाणा सरकार पर ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का दबाव बना रहे हैं.
हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम पर 'जंग': दरअसल ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कुछ दिनों पहले एक पॉजिटिव संकेत प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दिया था. ओल्ड पेंशन स्कीम पर दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि ओपीएस और एनपीएस में चार प्रतिशत का अंतर है. उन्होंने ये भी कहा था कि हरियाणा में इसमें बदलाव की जरूरत है. इसपर जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल का रिएक्शन लिया गया, तो उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने से देश 2030 तक बर्बाद हो जाएगा. एक तरफ सूबे के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री का ये बयान रास नहीं आया. दूसरी तरफ इसको लेकर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई. विपक्ष खासतौर पर इसको लेकर सरकार को घेरता नजर आ रहा है.
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस शासित राज्य आगे बढ़ रहे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी भी इसको लेकर सियासत कर रही ही, हालांकि अभी तक पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम किस तरीके से देनी है, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है क्योंकि सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है, लेकिन सियासी माहौल है तो वो भी इसमें अपने हाथ सेकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. हरियाणा कर्मचारी महासंघ के नेता जोगिंदर बल्हारा ने इस मुद्दे पर कहा कि वर्तमान सरकार के पास 41 विधायक हैं. जहां तक दुष्यंत चौटाला की बात है, तो वो सिर्फ इसको लेकर राजनीति कर रहे हैं.
कर्मचारी नेता ने कहा कि सरकार इस बार के बजट सत्र में इसको लेकर प्रस्ताव लाए. अभी विधानसभा सत्र आएगा, तो हम चाहेंगे कि सभी विधायक इसके पक्ष में खड़े हों. जो ओपीएस लागू करेगा, वहीं अगला मुख्यमंत्री बनेगा. कर्मचारी नेता का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी वो मांग करेंगे और इसके लिए वे 1 दिन का धरना और भूख हड़ताल उनके आवास पर भी करेंगे. जोगिंदर बल्हारा ने कहा कि हम भूपेंद्र हुड्डा से मांग करेंगे कि कर्मचारियों की आवाज विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उठाएं. वे कहते हैं कि जब पंजाब सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर कदम बढ़ा सकती है. हिमाचल सरकार ऐसा कर सकती है और राजस्थान सरकार भी ऐसा कर चुकी है. तो फिर हरियाणा क्यों नहीं?
उनका तो यहां तक कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हरियाणा में मुख्यमंत्री वहीं बनेगा. जो पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करेगा. उन्होंने कहा कि इस बात का अहसास मुख्यमंत्री को भी है और उपमुख्यमंत्री को भी. कर्मचारी नेता तो यहां तक कहते हैं कि कर्मचारियों के पैसे को सरकार शेयर बाजार में लगा रही है और पूंजीपतियों को फायदा दे रही है. सांसद हो या विधायक, वो खुद पेंशन उठा रहे हैं. उन्हें सबसे पहले अपनी पेंशन को बंद करने के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए. अपनी पेंशन तो ये लोग ले रहे हैं और कर्मचारियों को देने के लिए तैयार नहीं हैं.