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खतरे में नॉन बीएड और नॉन एचटेट पास पीजीटी टीचर्स की नौकरी, जानें पूरा मामला

हाई कोर्ट ने सरकार को दो हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा गया है. अब सरकार के सामने विकट स्थिति है कि ऐसे टीचरों की भर्ती को सही साबित करें. बताया जा रहा है कि ऐसे करीब चार लाख नॉन बीएड और नॉन एचटेट पास पीजीटी टीचर हैं.

Punjab and Haryana high court chandigarh
Punjab and Haryana highcourt chandigarh

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Published : Apr 12, 2021, 12:33 PM IST

चंडीगढ़: साल 2012 में नियुक्त उन पीजीटी टीचरों की नौकरी पर कोर्ट के आदेशों के बाद निकाले जाने की तलवार लटक गई है, जिन्होंने समय दिए जाने के बावजूद अब तक हरियाणा टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट और B.Ed परीक्षा पास नहीं की है. करीब 10 साल बीत जाने के बावजूद भी ये पीजीटी टीचर बीएड एचटेट की परीक्षा पास नहीं कर पाए हैं. इन्हें परीक्षा पास करने के लिए सरकार की ओर से बार-बार समय दिया जा रहा था.

इनकी भर्ती 2011 में हुई थी और तत्कालीन सरकार ने इन्हें और बीएड की परीक्षा पास करने के लिए 2015 तक का समय दिया था. उसके बाद समय सीमा 2018 तक बढ़ा दी गई. हाल ही में इसे 1 अप्रैल 2022 कर दिया गया. बार-बार परीक्षाएं पास करने के लिए समय दिए जाने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की.

दो हफ्तों के भीतर सरकार को देना है जवाब

हाई कोर्ट ने सरकार को दो हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा गया है. अब सरकार के सामने विकट स्थिति है कि ऐसे टीचरों की भर्ती को सही साबित करें. बताया जा रहा है कि ऐसे करीब चार लाख नॉन बीएड और नॉन एचटेट पास पीजीटी टीचर हैं. हाल ही में लेक्चरर वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ा एक प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर शिक्षा मंत्री कमर पाल गुर्जर एवं मुख्यमंत्री के ओएसडी से 9 अप्रैल को मिला था.

कांग्रेस सरकार में हुई थी टीचर्स की नियुक्ति

उन्हें इन टीचरों के संदर्भ में जानकारी दी गई. जिन्होंने अभी तक एच टैट और B.Ed की परीक्षा पास नहीं की है. फिलहाल निदेशालय से यह मांग आगे भेजी जा चुकी है और इस पर सरकार का पैसा लंबित है. मामले में सरकार इस पर अपना जवाब दाखिल करेगी. साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने इन टीचरों की भर्ती की थी. भर्ती के दौरान बहुत से ऐसे टीचर की भर्ती के गए थे, जिन्होंने B.Ed की डिग्री भी नहीं ले रखी थी.

वर्ष 2011 में हरियाणा सरकार ने हरियाणा टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट की परीक्षा को टीचरों की भर्ती के लिए जरूरी करार दिया था. तत्कालीन सरकार ने एचटेट की डिग्री को भी केवल 5 साल के लिए मान्य किया था. बावजूद इसके 2012 में हुई टीचरों की भर्तियों में उम्मीदवारों को तत्कालीन सरकार की ओर से कई प्रकार की छूट दे दी गई. चार वर्ष के टीचिंग अनुभव रखने वालों को अप्रैल 2015 तक हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा करने का समय दे दिया गया.

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तत्कालीन हुड्डा सरकार ने टीचरों के लिए जरूरी B.Ed की डिग्री में भी छूट गई थी. उन्हें B.Ed की परीक्षा भी बाद में पास करने के लिए प्रेरित समय दे दिया गया, हालांकि जो लेक्चरर 2011 से पहले भर्ती हुए उनके लिए नियम B.Ed की डिग्री जरूरी नहीं थी. वर्ष 2015 के बाद भी कांग्रेस की सरकार ने इन नॉन बीएड और नॉन एचटेट टीचरों को परीक्षा पास करने के लिए काफी समय दे दिया है, लेकिन बहुत से टीचर अभी तक दोनों परीक्षाएं पास नहीं कर पाए.

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