चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से पंचायतों के लिए शुरू के लिए ई टेंडरिंग का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. विवाद को खत्म करने के लिए मंगलवार को हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारियों को चंडीगढ़ बुलाया गया था. उनकी अधिकारियों के साथ तो बातचीत हुई लेकिन मुख्यमंत्री से उनकी कोई बातचीत नहीं हो पाई. मंगलवार को सरपंच सुबह करीब 11 बजे हरियाणा एमएलए हॉस्टल में सरकार से बातचीत के लिए पहुंचे थे. इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से इस मामले में सरपंचों के साथ बातचीत करने के लिए पब्लिसिटी सेल के चेयरमैन तरुण भंडारी भी पहुंचे.
इसके साथ ही आईजी ओपी नरवाल ने भी सरपंचों के साथ बातचीत की. थोड़ी देर हुई इस बातचीत के बाद दोनों अधिकारी मौके से चले गए. इसके बाद शाम तक सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी हरियाणा एमएलए हॉस्टल में आपसी मंत्रणा करते रहे. वे सरकार की ओर से किसी जवाब के इंतजार में बैठे रहे. लेकिन उनको सरकार की तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला. बाबा की दिनभर मसले का हल खत्म होने की उम्मीद करते रहे. इसके बाद देर शाम सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष रणबीर सिंह समैन ने कहा कि सरकार हमारी कोई भी मांग मानने को तैयार नहीं है और हमारे आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि हमारे साथियों को बरगलाने की कोशिश हो रही है. उनका कहना है कि हम सभी एक हैं और हम सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे. उनका कहना है कि सरकार की कोशिश है कि जो 17 तारीख को विधानसभा का घेरावका कार्यक्रम है. उसको किसी तरीके से कमजोर किया जाए. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा है कि पहले भी 2 दिन सरकार ने इसी तरह साथ हमें चंडीगढ़ में बैठा रखा है. आज भी यही मंशा सरकार की थी. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी मंशा में कामयाब नहीं होगी. हमारा आंदोलन अभी भी जारी है और 17 तारीख को हम लाखों की संख्या में विधानसभा का घेराव करने के लिए चंडीगढ़ आएंगे.
वहीं मीडिया से बात करते हुए हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारियों की ओर से उन्हें चंडीगढ़ में आज बातचीत के लिए बुलाया गया था. इसके तहत मुख्यमंत्री के साथ बैठकर बातचीत करने को कहा गया था. उनका कहना है कि सरकार द्वारा जिस तरीके का व्यवहार किया गया, वह किसी भी तरीके से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब हम 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे. उनका कहना है कि हम पहले भी कह रहे थे और अभी भी कह रहे हैं कि हम वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं. लेकिन सरकार जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने को तैयार नहीं है. उन्हें ललकारा जा रहा है. उनका कहना है कि हमारी केवल ई टेंडरिंग को लेकर लड़ाई नहीं है हम सभी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं.