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प्रदूषण को लेकर NGT सख्त! पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से मांगा सोल्यूशन - प्रदूषण से इमरजेंसी जैसे हालात

राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाके में हर साल प्रदूषण की समस्या भयावह हो जाती है. इसका मुख्य कारण धान की फसल के बाद पराली का जलाना है. इस दौरान लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

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Published : Jul 9, 2019, 7:18 PM IST

नई दिल्ली/चंडीगढ़: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से जवाब तलब करते हुए पूछा है कि ये राज्य पराली जलाने की समस्या से कैसे निपटेंगे. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने इन राज्यों को पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

25-30 प्रतिशत पराली जलाने से होता है प्रदूषण

दरअसल एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण और पराली जलाने की वजह से मौतें हुई हैं. रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के वायु प्रदूषण में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने का 25-30 फीसदी योगदान होता है.

किसानों को छूट में रोक

15 नवंबर 2018 को एनजीटी ने पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी छूट देने पर रोक लगा दी थी. दिल्ली में वायु प्रदूषण के गंभीर हालात पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि जो किसान पराली जलाते हुए पकड़े गए हैं, उनको राज्य सरकार द्वारा दी जा रही बिजली माफी जैसी दूसरी छूट न दी जाए. एनजीटी ने पंजाब, हरियाणा, उप्र एवं राजस्थान जैसे राज्यों को इसे लागू करने का निर्देश दिया.

इमरजेंसी जैसे हालात

12 नवंबर 2018 को एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उप्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के कृषि विभाग के मुख्य सचिवों को तलब किया था. एनजीटी ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा था कि इमरजेंसी जैसे हालात हैं.

बता दें कि नवंबर 2018 में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर हालात में पहुंच गया था. लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा था. सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी हो गई थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने पटाखों की बिक्री और उन्हें जलाए जाने के संबंध में सुप्रीम के आदेश का पालन नहीं होने पर दिल्ली-एनसीआर के पुलिस विभागों और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

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