चंडीगढ़: नासा की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों (NASA data on stubble burning) में यह स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा में पहले के मुकाबले पराली जलाने के केस कम हुए हैं जबकि पड़ोसी राज्य में आज भी पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में पराली जलाने की बेहद कम घटनाएं दर्ज की गई हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भी हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 25 प्रतिशत की कमी आई है जबकि पंजाब में इन घटनाओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
पराली न जलाने को लेकर हरियाणा सरकार ने न केवल जागरूकता अभियान किसानों के बीच चलाया है बल्कि हरियाणा सरकार द्वारा पराली न जलाने व पराली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है. किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है. किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है.
अगर किसान करनाल और पानीपत के इथनॉल टू प्लांट में पराली की गांठे बनाकर ले जाता है तो उन्हें 2 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. अगर किसान किसी गौशाला में पराली ले जाता है तो उसे 15 सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. यही नहीं रेड जोन क्षेत्र में पराली ना जलाने पर पंचायत को सरकार 10 लाख रुपये तक पुरस्कार देती है. पिछले वर्ष पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने 216 करोड़ का प्रावधान किया था.