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कोरोना काल में कैसे हो पढ़ाई, जानिए एक्सपर्ट की राय - स्कूल कॉलेज खुले हरियाणा

कोराना काल में पढ़ाई कैसे हो, इस मुद्दे पर ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन सिंह ने दीक्षांत ग्रुप ऑफ स्कूल्स चंडीगढ़ के चेयरमैन मितुल दीक्षित और बेंगलुरु के समाज शास्त्री ब्रज किशोर गुप्ता से बात की.

Mitul Dixit Chairman of Convocation Group of Schools
Mitul Dixit Chairman of Convocation Group of Schools

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Published : Jun 5, 2020, 1:59 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 2:17 PM IST

चंडीगढ़/हैदराबाद: कोराना काल में पढ़ाई कैसे हो, ये चिंता का विषय है. कई निजी स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी है और कुछ सरकारी स्कूल भी नवाचार कर रहे हैं. शहरों तक तो ठीक है लेकिन दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क और स्मार्ट फोन का न होना बड़ी समस्या है. इन मुद्दों पर ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन सिंह ने दीक्षांत ग्रुप ऑफ स्कूल्स चंडीगढ़ के चेयरमैन मितुल दीक्षित और बेंगलुरु के समाज शास्त्री ब्रज किशोर गुप्ता से बात की.

दीक्षांत ग्रुप ऑफ स्कूल्स के चेयरमैन मितुल दीक्षित ने कहा कि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई क्योंकि संसाधन नहीं थे और शिक्षक भी तकनीकी रूप से तैयार नहीं थे. हालांकि शिक्षकों ने तेजी से टेक्नोलॉजी को अपनाया और जल्दी ही ऑनलाइन क्लासेस शुरु हो गए.

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बच्चों की मनोदशा पर बात

समाज शास्त्री ब्रज किशोर गुप्ता ने बच्चों की मनदशा पर कहा कि कोरोना काल में बच्चे होपलेस, हेल्पलेस और वर्थलेस महसूस कर रहे हैं. इस पीढ़ी ने ऐसी विपदा पहले नहीं देखी इसलिए उनकी मनोदशा इस स्थिति में पहुंच गई है. जिस परिस्थिति का हम पहले अनुभव नहीं किए होते हैं, वैसी परिस्थिति सामने आने पर भय का माहौल होता है. ऐसे समय में माता-पिता और शिक्षकों को पढ़ाई को लेकर नरम और सकारात्मक रुख रखना चाहिए.

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क्लास का बदलता स्वरूप

मितुल दीक्षित ने कहा कि ये पीढ़ी तकनीक के इस्तेमाल में माहिर है. बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑनलाइन क्लास में ह्यूमन टच का अनुभव नहीं हो पाता लेकिन सेल्फ लर्निंग की एबिलिटी बढ़ती है. ब्रज किशोर गुप्ता ने भी बताया कि क्लासरूम का कॉन्सेप्ट बदल रहा है और इस बदलाव की जरूरत पहले से ही थी. कोरोना काल में इस बदलाव का मौका मिला है.

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दिक्कतों से पार पाना संभव

तकनीक दिक्कतों और संसाधनों की कमी पर मितुल दीक्षित ने कहा कि हो सकता है कि सभी के घर में स्मार्ट फोन न हो, लॉकडाउन खुलने के बाद पैरेंट भी काम पर निकल रहे हैं. लेकिन ये लंबा चलेगा इसलिए लर्निंग को मिनिंगफुल बनाने की जरूरत है. नीतिगत बदलाव पर ब्रज किशोर गुप्ता ने कहा कि अब भी गैप है जिसके लिए काम करने की जरूरत है. कमी पर सिर्फ बात नहीं बल्कि काम करने की जरूरत है, थ्योरी और प्रिसिंपल के बजाए गैप भरने के लिए प्रैक्टिकल होना पड़ेगा.

स्कूल कब खुलेंगे और क्लास कैसे सैनिटाइज होगा, ये मुद्दे ऐसे है जिस पर बड़ा खर्च आएगा. एक अनुमान के अनुसार यदि स्कूल एक लाख वर्गफुट में है तो सैनिटाइजेशन के लिए करीब 30 हजार रुपए रोजाना खर्च होंगे. इसी तरह स्कूल बस को सैनिटाइज करने के लिए अलग खर्च देना होगा. क्लासरूम में भी बैठने की व्यवस्था अलग तरह से करनी होगी और सप्ताह में दो दिन क्लास हो सकती है. मितुल दीक्षित और ब्रज किशोर गुप्ता दोनों ने ही इस बात पर जोर दिया की दुनिया उम्मीद पर टिकी है इसलिए हमें भी सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है.

Last Updated : Jun 5, 2020, 2:17 PM IST

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