चंडीगढ़: सड़क पर चलते हुए लोगों से स्नेचिंग के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. चंडीगढ़ जैसे शहर में पुलिस का अच्छा प्रभाव है. वहीं, छोटी उम्र के बच्चे स्नेचिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं. बीते साल शहर के 28 ऐसे बच्चे थे, जो स्नेचिंग के मामलों में सजा काट रहे हैं. वहीं, चंडीगढ़ पुलिस के मुताबिक इन वारदातों को अंजाम देने वाले बच्चे वो हैं, जो नशे के आदि हैं या महंगी चीजों को खरीदने के शौकीन हैं.
नशे की जरूरत को पूरा करने के लिए बहुत से युवा चोरी चकारी करने के आदि हो जाते हैं. ऐसे में बीते कुछ सालों से चंडीगढ़ जैसे शहर में स्नेचिंग के मामले तेजी से बढ़ें हैं. ऐसी घटनाओं में नाबालिग आरोपी भी पकड़े जा रहे हैं. वहीं, बीते सालों के मुकाबले 2022 के सबसे अधिक स्नेचिंग की घटनाएं सामने आई हैं. इन 137 स्नेचिंग की वारदातों में 28 बच्चे शामिल थे.
ऐसे में स्नेचिंग के मामले में इन आरोपियों को 3 साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती हैं. वहीं पुलिस के मुताबिक स्नेचिंग में मोबाइल फोन अधिक छीने जाते हैं. ऐसे में जो भी अनदेखे अंदाज में अपना मोबाइल कान पर लगाकर बात कर रहा होता है. इस दौरान मौके का फायदा उठा कर इन्हीं लोगों को स्नेचिंग का शिकार बनाया जाता है. वहीं, पुलिस डेटा के मुताबिक ज्यादातर वारदातें मोबाइल फोन स्नैचर की है.
चंडीगढ़ में सबसे अधिक मामले 2020 के बाद 2021 और 2022 में देखे गए. जहां 2020 में ऐसे 79 केस दर्ज हुए थे. वहीं वर्ष 2021 में स्नेचिंग की 121 घटनाएं सामने आई. वर्ष 2022 में 137 स्नेचिंग के मामले दर्ज किए गए. हालांकि चंडीगढ़ पुलिस शहर में कई बार नाके लगाकर विशेष चेकिंग अभियान भी चला चुकी है. इसके बावजूद स्नेंचिंग की वारदातें थम नहीं रही.
वहीं, जानकारी देते हुए चंडीगढ़ पुलिस के डीएसपी राम गोपाल ने बताया कि स्नेचिंग के मामलों को देखते हुए हमारे सभी सीनियर ऑफिसर, एसएचओ, पीसीआर को एक ब्रीफिंग दी जाती है, कि अपने एरिया का रिव्यू करें और जहां भी स्नेचिंग के मामले सामने आ रहे हैं. उन एरिया पर नजर रखें. स्नेचिंग के मामलों में अक्सर जूविनाइल के अलावा दूसरे लोग भी पकड़ में आते हैं. जिसके मुताबिक उन पर कार्रवाई की जाती है. ऐसे में बीते साल में 28 ऐसे मामले थे जिनमें बच्चे शामिल थे और जो कानूनी सजा काट रहे हैं.
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जांच के मुताबिक मलोया, मौली जागरण, राम दरबार इन जगहों के बच्चे अधिकतर स्नेचिंग के मामलों में शामिल होते हैं. क्योंकि इन एरिया में नशे का इस्तेमाल और शहर के मुकाबले सबसे अधिक होता है. वहीं, चंडीगढ़ पुलिस की कोशिश रहती है कि वह इस उम्र के बच्चों को नशों और अपराधों गतिविधियों से मुक्त करने की कोशिश करें. जिसके चलते शहर में गली क्रिकेट का आयोजन भी किया गया. जिसका मुख्य मकसद यह था कि बच्चों को नशे के चंगुल से बाहर निकलने और उन्हें खेलों की तरफ प्रोत्साहित किया जाए.